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________________ ( १६३ ) धर्म सिद्धांत रत्न माला ( प्रथम रत्न) से० बा० सूरजभान वकील, प्र० बा० कुलवन्तराय जैनी हरदा, भा० हि०, पृ० ३३, व० १९२६, प्रा० प्रथम । धर्म सिद्धांत रत्न माला ( दूसरा रत्न ) - ले० बा० सूरजभान वकील, प्र० बा० कुलवन्तराय जैनी हरदा, भा०, हि०, पृ० २३, ६० १६२६; श्रा० प्रथम । धर्म सिद्धांत रत्न माला ( तीसरा रत्न ) - लेखक बा० सूरजभान वकील, प्र० बा० कुलवन्तराय जैनी हरदा, भा०, पृ० २०; १० १९२६; आ० प्रथम । धर्म सिद्धान्त रत्न माला ( चौथा रत्न ) - लेखक बा० सूरजभान वकील, प्र० बा० कुलवन्तराय जैनी हरदा, भा० हि०, व० १९२६; प्रा० प्रथम । धर्म सिद्धान्त रत्न माला ( पाचवा रत्न ) - 'धमंचला' लेखक बा० सूरजभान वकील, प्र० बा० कुलवन्तराय जैनी हरदा, भा०, हि०, पृ० ८, व० १६२७ । धर्मामृत रसायन - लेखक कुँवर दिग्विजयसिंह, प्र० जैनतत्वप्रकाशनी सभा इटावा, भा० हि०, पृ० ३२, ० १६१२, प्रा० द्वितीय । धर्मों में भिन्नता - लेखक प० दरबारीलाल सा० र० प्र० प्रात्म जागृति कार्यालय व्यावर, भा० हि०, पृ० १८, व० १६३२ । धूर्ताख्यान - लेखक हरिभद्र सूरि, अनु० सपा० १० नाथूराम प्रेमी, प्र० जनग्रन्थरत्नाकर कार्यालय बम्बई, भा० हि०, पृ० ४८, ० १६१२, आ० प्रथम । नकलो और असली धर्मात्मा - लेखक बा० सूरजभान वकील, प० चन्द्रसेन जैन वैद्य इटावा, भा० हि०, पृ० १६६, ६० १६१६; आ० प्रथम । नक्शा गुण स्थान - सपा० प० दीपचन्द्र वर्णी, प्र० कुमार देवेन्द्र प्रसाद वन प्रारा, भा० हि०, पृ० १, ६० १६१६, प्रा० प्रथम नन्दीश्वर भक्ति - लेखक पूज्यपादाचार्य, टी० लालाराम, भा० स० हि०, ( दशभक्त्यादि संग्रह मे प्र० ) । नन्दीश्वर भक्ति - लेखक प्रतधराचार्य, भा० स०, पृ० ४२, १० १६६४ ।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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