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जीवधर नाटक - ले० पं० कुञ्ज बिहारी लाल; प्र० स्वयं, हजारी बाग; भाष हि०, पृ० १२१, ब० १९१७, ब्रा० प्रथम ।
जीव रक्षा दर्पण - सग्र० पारसदास खजाची, प्र० स्वयं देहली; मा० हि०, ० ७६, ० १९१६, ० प्रथम
जीव स्थानम् (प्रथम पुष्प ) - ले० श्राचार्य पुष्पदंत भूतबलि टो० वीर सेन स्वामी, सपा० प० बशीधर, प्र० गावी हरीभाई देवकरण शोलापुर भा० प्रा० स० पृ० ३८०, व० १६३६, मा० प्रथम ।
जीव स्थानम् ( द्वितीय पुष्प) - ले० प्राचार्य पुष्यदत भूतबलि, टी० वीर सेन स्वामी, सपा० प० बशीधर, प्र० गाधी हरीभाई देवकरण शोलापुर, भा० प्रा० स० पृ० ३४४, व० १९४०, प्रा० प्रथम ।
जीव स्थानम् (तृतीय पुष्प ) - ले० प्राचार्य पुष्पदत भूतबलि, टी० वीरसेन स्वामी, सपा० प० बशीधर, प्र० गाधी हरीभाई देवकरण शोलापुर, भा० प्रा० स० पृ० ३७६, ब० १६४१; आ० प्रथम ।
जीवाजीव बिचार (प्रथम भाग ) - ले० मास्टर पचूलाल काला; प्र० शिक्षा प्रचारक कार्यालय बेहली, भा० हि० ।
जीवाजीव विचार (द्वितीय भाग) - ले० मास्टर पचूलाल काला, प्र० शिक्षा प्रचारक कार्यालय देहली; भा० हि० पृ० ३२ व० १६३२ प्रा० प्रथम ।
जेल में मेरा जैनाभ्यास -- ले० सेठ प्रचल सिह, प्रकाशक स्वय नागरा; भाषा हिन्दी, पृष्ठ ४४० वर्ष १३३४, प्रा० प्रथम ।
जैजों शास्त्रार्थ- - प्रकाशक अज्ञात भाषा हिन्दी, वर्ष १९१७ ।
जैन आरती संग्रह -संग्रहकर्त्ता श्रीलाल जैन, प्रकाशक नन्नूमल जैन देहली; भाषा हिन्दी, पृष्ठ १६, व० १६४४, आ० प्रथम ।
जेन इतिहास -- लेखक अज्ञात भाषा हिन्दी |
जैन इतिहास की पूर्व पीठिका और हमारा अभ्युत्थान - लेखक पो० हीरालाल जैन, प्र० हिन्दी ग्रथ रत्नाकर कार्यालय बम्बई, भा० हिन्दी, पृष्ठ
१८३, व० १६३६; प्रा० प्रथम ।