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________________ ( १२६ ) जिनवाणी संग्रह-सग्र० सपा०प० सतीशचद्र, प्र० जिनवाणी प्रचारक कार्यालय कलकत्ता । भा० हि० स०, पृ० ४६४, प्रा० छठी। जिनशतक (स्तुति विद्या)-ले० समतभद्राचार्य, स० टी० सिहभह, हि. अनु० ५० लालाराम, प्र० स्याद्वाद रत्नाकर कार्यालय काशी, भा० स० हिक, पृ० १२८, व० १६१२, प्रा० प्रथम । जिनशतकारले जम्बू गुरु, भा० स०, पृ० २२, ( काव्यमाला सप्तम गुच्छक मे प्र०)। जिनशासन का रहस्य ---ले० प० माणिक चन्द न्या० प्रा०, प्र० जनमित्र मडल देहली, भा० हि०, पृ० ६७ व० १९३८, प्रा० प्रथम । जिनमहस्रनाम-ले० जिनसेनाचार्य व० प० आशाधर, प्र० जैनग्रथरत्नाकर कार्यालय बबई, भा० स० । जिन सहस्त्र नामस्तोत्र-ले० जिनसेनाचार्य, अनु. ५० गौरीलाल सि० शा०, भा० सं० दि०, पृ० ६१, व० १६३ ' , प्रा० प्रथम । जिनेन्द्र गुणगायन-सपा० मूलचन्द्र, गप्त, प्र० जैन ग्रथ प्रभाकर कार्यालय कलकत्ता, भा० हि०, पृ० २८, व० १६१८। जिनेन्द्र गुणानुवाद पच्चीसी-ले० कवि चुन्नीलाल, भा०; हि.० प्र० जैन न थ रत्नाकर कार्यालय बबई । जिनेन्द्र दर्शनपाठ -सग्र० पं० मुन्नालाल, प्र० स्वय सिवनी, भा० सं० हि०, पृ० ३२, व० १६१२; प्रा० प्रथम । जिनेन्द्र पच कल्याणक-ले०५० रूपचन्द्र; प्र. भारतीय जैन सिद्धान्तप्रकाशनी सस्था कलकत्ता; भा० हि०, पृ० १६, व० १६२५, प्रा० प्रथम । जिनेन्द्र पच कल्याणक पाठ-ले० प० रूपचन्द्र, अनु० सपा० कुन्दनलाल जैन, प्र० दिगम्बरजैन पुस्तकालय सूरत, भा० हि०, पृ० ४८, व० १९२७, प्रा. द्वितीय । जिनेन्द्र भजन भंडार-ले० पन्नालाल जैन, प्र० स्वय सिवनी, भा०
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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