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________________ ( ११४ ) कलियुग की कुल देवी-से० अशात; भाषा हिन्दी; पृष्ठ ३४; वर्ष १६११ । कलियुग लीला भजनावली -- लेखक पंडित न्यामत सिंह, प्र० स्वयं हिसार; मा० हिन्दी, पृ० २०, १० १६१५, प्रा० तृतीय । C कविवर भूधरदास और जैमशतक - ले० शिखर चन्द जैन प्रा० २० प्र. सार्वजनिक वाचनालय इन्दौर, भा० हि०; व० १६३८ । क्वारों की दुर्दशा - लेखक प्र० बाबू सूरजभान वकील; भा० हिन्दी प्रष्ठ ३६ ० १६२७ । Fart बेवायें -- लेखक अज्ञात, भा० हिन्दी । कसाय पाहुड़ (जय धवल प्रथम खण्ड ) - लेखक भगवत गुरणधराचार्य, टी० स्वामी वीरसेन; जिनसेन; अनु० स पादक पंडित फूलचन्द पडित कैलासयंत्र, पंडित महेन्द्र कुमार, प्र० भारतवर्षीय दिगम्बर जैन सघ मथुरा, भाषा प्राकृत सस्कृत हिन्दी, प्रष्ठ ५६८ व० १६४४, आ० प्रथम । कंस वही [प्राकृत काव्य ] - सम्पादन ए. एन. उपाध्याय; भा० प्रा० । कातन्त्र पच सधि ( भाषाटीका ) - लेखक पन्नालाल जैन; प्र० देश हितैषी आफिस बम्बई; भा० सं० ॥ कातन्त्र व्याकरण - लेखक सर्व धर्माचार्य, टी० भावसेन त्रैविद्य, संपा० जीवाराम शास्त्री, प्र० हीराचंद नेमचंद, भा० सं० प्र०२२२, ब० १५६५, मा० प्रथम । कातन्त्र रूपमाला व्याकरण - ले० सर्व धर्माचार्य, टी० भावसेन त्रैविद्य, प्र० पन्नालाल जैन, देशहितैषी आफिस बम्बई; भा० सं० । काया पलट [ रामकली ] - लेखक ज्योति प्रसाद 'प्रेमी'; प्र० प्रेम पुस्तree देवद, भा० हि० प्र० २२३६, व० १६२२, आ. प्रथम | कालु मक्तामर स्तोत्र - लेखक स्वामी कादमल, अनु० कस्तूरी रंग नाथपा भाषा सं ० हिन्दी; प्रष्ठ ५० वर्ष १६३० ।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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