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40 / महामन्त्र णमोकार . एक वैज्ञानिक अन्वेपण हजारो साल तक चलेगी और बच्चे हॅमेगे। कहेगे कि कहा है हवाईजहाज ? जिनकी तुम बात करते हो? ऐसा मालूम होता है, कहानिया है, पुराण-कथाए है, मिथ हैं।"
णमोकार महामन्त्र की ऐतिहासिकता का सीधा अर्थ है जैन धर्म की ऐतिहासिकता, क्योकि महामन्त्र वास्तव मे जैन धर्म के सभी तत्वों का पुष्कल प्रतीक एव सूत्र है। धर्म का इतिहास सामान्य इतिहास की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता। इसका प्रमाण मानव जाति की आत्मा मे उसके चिर-कालिक विश्वास में होता है। यह इतिहास भावात्मक ही होता है, रूपात्मक बहत कम। ___ "धर्म का स्वतन्त्र इतिहास नहीं होता। सम्यक विचार व आचार म्प धर्म हृदय की वस्तु है, जिसका कब, कहा और कैसे उदय, विकास अथवा ह्रास हुआ तथा कैसे विनाश होगा, यह अतिशय ज्ञानी के अतिरिक्त किसी को ज्ञात नही। अत इन्द्रियातीत, अतिसूक्ष्म धर्म का अस्तित्व प्रमाणित करने के लिए धार्मिक महापुरुपो का जीवन और उनका उपदेश ही धर्म का परिचायक है। धार्मिक मानवो का इतिहास ही धर्म का इतिहास है।''
इस महामत्र की ऐतिहासिकता पर इस दृष्टि से भी विचार किया जा सकता है कि यह मन्त्र द्रव्याथिक नय से अनादि है तो क्या पूरे पच परमेष्ठियो को अर्थ के स्तर पर मन मे मूल रूप मे पहली बार मे किया गया होगा, अथवा प्रारम्भ मे केवल अरिहन्त और सिद्ध परमेष्ठी कोही लिया गया और फिर धीरे-धीरे परवर्ती कालो मे बाद के तीन परमेष्ठी मिला लिये गये । अति प्राचीन या प्राचीनतम उदाहरण या शिलालेख तो यही सिद्ध करते है कि अरिहन्त और सिद्धो को ही प्रारम्भ मे ग्रहण किया गया था। इसके भी कारण हो सकते हैं । वास्तव मे ये दो ही ईश्वर या देव रूप है, शेप तीन तो अभी साधक ही हैलक्ष्य के राही है। ये तीन गुरु है, अभी देव नही । अत. उभर कर यह दृष्टि सामने आती है कि द्रव्याथिक नय की दृष्टि से भी इस क्रम को ग्वीकार किया जा सकता है क्या ? वाणी रूप मे ढलने पर भी तब यही क्रम आएगा ही। तर्क वडा वहग और दूरगामी होता है। वह रुकना जानता ही नहीं, पर विश्वास उसे थपथपाता है और स्थिरता देता है।