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राजद्वारे श्मशाने च, सग्रामे शनुसंकटे । व्याघ्रचौरासिदि, भूतप्रेत भयाश्रिते ॥18॥ अकाले मरणे प्राप्ते दारिद्रयापत्समाश्रिते। आपुवस्वे महादुखे, मूर्खत्वे रोगपीडिते ॥19॥ डाकिनी शाकिनी प्रस्ते, महामहगणादिते। नसारेऽध्ववैषम्ये, व्यसने चापदि स्मरेत् ।।20। प्रातरेव समुत्थाय, य पठेजिनपजर । तस्य किचिद्भयं नास्ति, लभते सुखसम्पद ।।21॥ जिनपंजरनामेद य, स्मरत्यनुवासरम् । कमलप्रभ राजेन्द्र , श्रीय स लभते नर 12211 प्रात. समुत्थाय पठेत्कृतज्ञो, य स्तोत्रमेतज्जिनपिंजस्य। आसादयेन सः कमलप्रभाख्य, लक्ष्मी मनोवांछितपूरणाय ।।231 श्री रुद्रपल्लीय वरव्य एबगच्छे, देवप्रभाचार्यपान्जहस ।
वादीन्द्र चूडामणिरैष जेनो, जीयादसौ श्री कमलप्रभाख्या' ।।2411 प्राचीन मन्त्र शास्त्रो मे आत्मरक्षा इन्द्र कवच का वर्णन मिलता है। "मंत्रधिराज चिन्तामणि श्री णमोकार महामन्त्र कला" आदि ग्रन्थो मे इस प्रकार है
1. ॐ गमो अरिहताण ह्या हृदयं रक्ष रक्ष हु फट् स्वाहा । 2 ॐ नमो सिद्धाण ह्रीं शिरो रक्ष रक्ष हु फट् स्वाहा । 3 ॐ णमो आयरियाण हूं शिखा रक्ष रक्ष हुं फट् स्वाहा । 4. ॐ णमो उवमायाणं हैं एहि एहि भगवति व कवच बजिणि वणि
रक्ष रक्ष हुं फट् स्वाहा। 5ॐ गमो लोए सम्य साहणं ह क्षिप्र क्षिप्र साधय वनहस्ते शूलिनि
दुष्टान् रक्ष रक्ष हुं फट् स्वाहा। णमोकार मन्त्र व्रतो का विधान भी है । जो 18 मास मे 35 दिन में होता है। मन्त्र साधना के क्षेत्र मे, अनुभवी साधको से जानकारी प्राप्त कर लेना उपयोगी रहता है। णाणसायर (जंन वैमासिक) का मोकार विशेषाक प्रकाशित हुआ है। जो बहुन चर्चित रहा। साधक उसे भी देखे । यदि आपकी कोई समस्या या जिज्ञासा है, तो आप निसंकोच लिख सकते है। मेरा दृढ विश्वास है कि आपकी हर समस्या का समाधान णमोकार मन्त्र मे है, आशा है आप इस महामन्त्र की आराधना और साधना कर अपने जीवन को पावनता के उच्च शिखरो पर अग्रसर करेंगे।
भवदीया दिल्ली, 16 अक्टूबर 1993
कुमुम जैन सम्पादिका-णाणसायर (जैन नमासिक)