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100 / महामन्त्र णमोकार एक वैज्ञानिक अन्वेषण
णमोकार मन्त्र मे सम्मोहन (Hypnotising) के भी रास्ते हैं। इसकी कतिपय ध्यनिया ऐसी हैं जो मानव को हिप्नोटाइज ( सम्मोहित) कर सकती है । जैसे णं है । ण क्या है ? ण मे एक बडी शक्ति है। इसमे तीन स्तम्भ है । कैसा भी दर्द हो, किसी भी अग मे हो, उसको 'ण' द्वारा दूर किया जा सकता है । 'ण' पहले दर्द वाले हिस्से को हिप्नोटाइज करेगा फिर दबा देगा ।
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अर्हम् - आपके पास 49 ध्वनिया हैं । इनमे पहली ध्वनि है अ और अन्तिम ध्वनि है है । ये दोनो ध्वनिया कण्ठ से पैदा होती हैं । अर्हम् मूल मन्त्र है । ध्वनि के साथ उच्चरित करने पर उसमे प्रकाश एव रग पैदा हो जाते हैं। पहला सफेद प्रकाश है । वही ही कर देने पर लाल हो जाता है क्योकि उसमे र मिल गयी है। जब वह ह्रा (आ) रूप उच्चरित होता है तो पीत प्रकाश आता है। हू ( उ ) कहते ही नीला प्रकाश आता है और स कहते ही रग एव प्रकाश काला हो जाता है । णमोकार मन्त्र सृष्टि का मूल है। सभी प्रतिनिधि अक्षर मातृकाए उसमे है | अर्हम्, ओम, हो के एकमात्र के कहने पर भी वही णमोकार मन्त्र बनता है । व्याख्या और परिपूर्णता के लिए --बोध के लिए इसे विस्तृत किया गया। इस पूर्ण मन्त्र को सुविधा के लिए मक्षिप्त किया गया यह भी हम कह सकते है ।
रंगो की अनुभूति कैसे -- दो प्रकार के आसन होते है-सगर्भ और अगर्भ । जब हम श्वास को मन्त्र मे बदलते है तत्र सगर्भ आसन होता है । जब हम श्वास का दर्शन करते है तब अगर्भ आसन होता है । प्राण वायु की गति ऊर्ध्व को है और अपान वायु की नीचे का है। इसको उल्टे रूप में कैसे करे । जिस समय आप सीवन को दबा कर अपान के निस्सरण की प्रक्रिया को रोक देगे तो अपान वायु स्वत ही ऊपर को उठना प्रारम्भ कर देगी । अपान वायु ठण्डी है और प्राण वायु गर्म है । जब अपान गर्म हो जाएगी तो ऊपर को भागेगी ही । हर ठण्डी वस्तु को नीचे से गर्मी दी जावे तो वह ऊपर को भागेगी ही। लोहे को गैम से ही काटा जा सकता है। सिर्फ नीली गैस छोड़ते हैं और काटते है । वह नीली गैस ही आवसीजन होती है । उसमे नाइट्रोजन और कार्बन ये सब चीजें मिली हुई है। फैक्टरी मे गैसो को अलग करते है । जो टण्डी होती है वो