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________________ भावना होगी और उसी के अनुसार व्यक्तियो का आचरण होगा, वहा समस्याओ का अस्तित्व ही कहा होगा? हम एक उदाहरण ले। आपको किसी व्यक्ति से रुपये लेने हैं, जो उस पर बहुत दिनो से बाकी हैं। आप क्रोध में भर कर उससे रुपये मांगने जाते हैं। वह व्यक्ति आपके सामने हाथ जोडकर खडा हो जाता है और तत्काल ही आपका रुपया चुकाने में अपनी असमर्थता बताता है। उसके इस प्रकार के व्यवहार से क्या आपका क्रोध ठहर सकेगा? आप उसको असमर्थता को देखकर यही कहेगे कि अच्छा कोई बात नही, जब हो सके, तब चुका देना। इसके विपरीत यदि वह व्यक्ति अपनी धौस दिखाकर आपके सामने अनुचित व्यवहार करता तो आप दोनो का झगडा हो जाना अवश्यम्भावी था। हम एक और उदाहरण देते है। मान लिया किसी व्यक्ति को अनजाने मे ही आपसे ठोकर लग जाती है। वह व्यक्ति क्रोधित होकर कहता है "क्या आपको दिखाई नही देता, जो ठोकर मारकर चल रहे हो?" आप भी क्रोधित होकर कहते है-"रास्ते मे क्यो बैठे हुए हो? इस प्रकार रास्ते मे बैठोगे तो ठोकर लगेगी ही।" इस प्रकार बात बढते-बढते आप दोनो मे झगडे की नौबत आ जायेगी। इसके विपरीत आपसे ठोकर लगने पर यदि आप उस व्यक्ति से क्षमा मांग लेते तो वह यही कहता "कोई बात नही। गलती मेरी ही थी, जो मैं रास्ते में बैठा हुआ था।" इस प्रकार आप दोनो ही अपनी-अपनी गलती मानते और झगडा होने का प्रश्न ही नहीं उठता।
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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