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वर्षों से भारत के थोडे से व्यक्तियों के अतिरिक्त ससार को कोई भी जाति अहिंसक नहीं है।
(८) कुछ व्यक्ति यह आक्षेप करते हैं कि अहिंसा की रट लगाने के कारण ही भारत सैकडो वर्षों तक परतन्त्र रहा । अत देश की स्वाधीनता व सुरक्षा के लिये अहिसा की रट छोडनी पडेगी।
इन व्यक्तियो का यह आक्षेप निर्मूल और तथ्यो के विपरीत है। यदि हम भारत के इतिहास पर दृष्टि डाले तो हम पायेगे कि भारत पूर्ण रूप से अहिसक कभी भी नही रहा। जब विदेशियो ने यहां पर आक्रमण किये उस समय यहा पर बहुत से छोटे-छोटे राज्य थे। इन राज्यो के शासक शिकार खेलते थे और मास खाते थे, फिर इनको अहिंसक कैसे मान लिया जाये ? वास्तविकता तो यह है कि वे शासक आपस मे वैमनस्य रखते थे, एक-दूसरे से युद्ध करते रहते थे और इस प्रकार अपनी शक्ति नष्ट करते रहते थे। इन भारतीय राजाओ को निर्बल समझ कर और यहा की अतुल धन-सम्पदा से आकर्षित होकर ही इन विदेशियो ने भारत पर बार-बार आक्रमण किये। इन भारतीय राजाओ ने कभी भी संगठित होकर इन विदेशियो का सामना नही किया। इसके विपरीत कई बार तो ऐसा भी हुआ कि इन्ही भारतीय राजाओ ने अपने किसी शत्रु भारतीय राजा पर आक्रमण करने के लिये इन विदेशियो को आमन्त्रित किया। आरम्भ मे तो वे विदेशी यहा की धन-सम्पदा लूट-सूटकर ले जाते रहे । परन्तु बाद में जो आक्रमणकारी आये, वे यही बस गये और साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति से यहा के शासक बन गये। अत' भारत की परतन्त्रता का मुख्य कारण अहिसा नहीं, अपितु