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४-कन्यादान और पाणिग्रहण-- इसके पश्चात् कन्या का पिता कन्या का दायां हाथ पीले चन्दन से विलपित करके उसका अंगठा चावल, १) रुपया और जल सहित अपने हाथ में लेकर निम्न मंकल्प पढ़ कर वर के हाथ में पकड़ाद और रुपया वर को दे दे । वर से रुपया लेकर वर का पिता थेली में डाल लेवे।
अस्मिन् जम्बूद्वीपे भरतक्षेत्रे आर्य खण्डे अमुक देश (देश का नाम ) अमुक नगरे ( नगर का नाम ) अमुक संवत्सरे ( संवत् का नाम ) अमुक मास (महीने का नाम) अमुक पक्षे (पक्ष का नाम ) अमुक शुभ तिथौ ( तिथि का नाम) अमुक वासरे (वार का नाम) शुभ वेलायाम् मण्डप सन्निधानं अमुक ( लड़की के पिता का गोत्र ) गोत्रोत्पन्नोऽहं ( नाम लड़की के पिता का) इमां स्वकीयकन्यां सालंकारां स्वर्ण जटितमणिमाक्तिकविद्रमहरितरक्तधीतकोशेयवत्रशोभितां कन्यां अमुक ( लड़के का गोत्र ) गोत्राय भा वर ! शुभाननाय तुभ्यं ददामि अस्याः ग्रहणं कुरु कुरु ।
५-हवन विधिपाणिग्रहण के बाद वर कन्या दोनों निम्न मन्त्र पढ़ कर इकट्ठा हवन करें।
धूपैः सन्धपितानेक-कर्मभिधू पदायिनः । अर्चयामि जिनाधीश--सदागम-गरून गुरून