________________
सम्पूर्ण दुःखों का अभाव होकर सम्पूर्ण सुख की प्राप्ति का उपाय
अनादिनिधन वस्तुएं भिन्न-भिन्न अपनी-अपनी मर्यादा सहित परिणमित होती हैं । कोई किसी के आधीन नहीं हैं । कोई किसी के परिणमित कराने से परिणमित नहीं होती। पर को परिणमित कराने का भाव मिथ्यादर्शन है ।
[ मोक्षमार्गप्रकाशक]
अपने-अपने तत्त्व कूं, सर्व ऐसे चितवै जो तब, परते
वस्तु विलसाय | ममत न थाय ॥
सत् द्रव्य लक्षणम् । उत्पाद व्यय धौव्य युक्तं सत् ।
[ मोक्षशास्त्र]
"Permanancy with a Change" [ बदलने के साथ स्थायित्व ]
́NO SUBSTANCE IS EVER DESTROYED IT CHANGES ITS FORM ONLY
[कोई वस्तु नष्ट नहीं होती, प्रत्येक
वस्तु अपनी
अवस्था बदलती है । ]
1
1
344