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कोलनुपाक
हैदराबाद संग्रहालय ( मूलस्थान संभवतः गोब्बूर, आन्ध्र )
चालुक्य वि० वर्ष ३३ = सन् १,०९, कन्नड चालुक्य सम्राट् त्रिभुवनमल्ल जयन्तीपुर से राज्य कर रहे थे उस समय हिरिय गोब्बूरु के अग्रहार के कम्मटकारो (टकसाल के कर्मचारियों) द्वारा ब्रह्मजिनालय मे चैत्र पवित्र पूजा के लिए कुछ धन दान दिया गया था। तिथि माघ पौणिमा, सोमवार, सर्वधारी संवत्सर, चालुक्य वि० वर्ष ३३ बतायी है।
रि०३० ए० १९६०-६१, शि० क्र० बी २१
कोलनुपाक ( नलगोण्डा, आन्ध्र ) चालुक्य विक्रम वर्ष ५० = सन् ११२५, संस्कृत-कनाड सोमेश्वर मन्दिर के पीछे तालाब मे एक स्तम्भ पर यह लेख है । चैत्र व०३ सोमवार, विश्वावसु सवत्सर, चालुक्य विक्रम वर्ष ५० यह इस की तिथि है। दण्डनायक महाप्रधान मनेवेर्गडे सायिपय्य के निवेदन पर राजकुमार सोमेश्वर ने अम्बरतिलक की अम्बिकादेवी के लिए पाणुपुर ग्राम दान दिया था। इस दान मे से वह जमीन मुक्त रखी गयी थी जो पोळल के निकट की अक्कबसदि को पहले दी गयी थी। दान की व्यवस्था देविय पेर्गडे केशिराज को सौपी गयी थी। काणूरगण-मेषपाषाण गच्छके जैन आचार्यों का तथा अम्बिका मन्दिर मे केशिराज द्वारा मानस्तम्भ व मकरतोरण के निर्माण का भी इस लेख मे वर्णन है।
रि०६० ए० १९६१-६२ शि० क्र० बी १२ मूल कन्नड में आन्ध्र प्रदेश आकिं० सीरीज न० ३ में प्रकाशित ।