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जैन शिलालेख संग्रह
५८१-५८४
हैदराबाद ( म्युजियम ) ( आन्ध्र ) संस्कृत-कराड
[ ये चार मूर्तिलेख हैं जो घिसनेसे अस्पष्ट हुए हैं । एकमें मूलसंघके किसी व्यक्तिका उल्लेख है । दूसरेमें एक मूर्तिकी स्थापना फाल्गुन शु० १५, बुधवार, शर्वरी संवत्सर के दिन किये जानेका उल्लेख है । तीसरेमें पण्डित मल्लिसेनका उल्लेख है | चौथेमें नेमिचन्द्रदेवके शिष्य कुमार मायदेव महामण्डलेश्वर द्वारा पार्श्वनाथ मूर्तिको स्थापनाका उल्लेख है । इन लेखोंका समय निश्चित नहीं है । ]
[ रि० इ० ए० १९४६-४७ क्र० १४९, १५०, १५२, १५४ ]
५८५
भोसे ( सातारा, महाराष्ट्र )
कराड
[ ५८१
बेलगामे (मैसूर)
संस्कृत-कन्नड
[ इस लेख में मूलसंघ - काणूरगणके वामनन्दि व्रतोश्वरका उल्लेख है । लेख बहुत घिस गया है । समय निश्चित नहीं
]
[ रि० इ० ए० १९४६-४७ क्र० २४३ ] ५८६
१ गणप्राच्य महीभृदकी श्री२ भव्याधिवर्धिष्णुशशांक मूर्तिः
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