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जैनशिलालेख-संग्रह
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बेल्लूर ( मैसूर)
कन्नड (सन् १६८०) [ यह लेख विमलनाथमूर्तिके पादपीठपर है। पद्मकुलके शर्कर-द्वारा इस मूर्तिकी स्थापना हुई थी। यह हुलिकल निवासी था तथा समन्तभद्राचार्य के शिष्य लक्ष्मीसेनाचार्यका शिष्य था। समय लगभग सन् १६८० का है।]
[ए० रि० मै० १९१५ पृ० ६८ ] ५१७-५१८ पोन्नूर ( उ० अर्काट, मद्रास)
शक १६५५ = सन् १७३३, तमिल [ स्थानीय जिनमन्दिरके छतमें लगे स्तम्भपर यह लेख है । तिथि बंगाशि २७, प्रमादी संवत्सर, शक १६५५, कलिवर्ष ४८३४ यह है । इसमें कहा है कि स्वर्णपुर-कनकगिरिके जैन हेलाचार्यकी साप्ताहिक पूजाके लिए प्रति रविवारको पार्श्वनाथ तथा ज्वालामालिनीको मतियाँ नोलगिरिपर्वतपर ले जाते हैं। यहींके अन्य लेखमें पार्श्वनाथको स्तुतिमें कुछ मन्त्र लिखे हैं।
[रि० सा० ए० १९२८-२९ क्र० ४१६-१८ पृ०४० ] मूललेख १ स्वस्ति श्री शालिवाहनशकाब्दः १६५५ कल्यब्दः ४८३४ का मेळ चेल्ला निण्रा प्रभवादि ग (श ) काब्दः वरुष ४६ क्कु प्रमादिच वरुषं बैगाशिमादं १० (उ) एलुदिय शासनमावदु (1) स्वस्ति श्रीस्व (ण) पु (र) कनकगिरि आदीश्वरस्वामिचेस्यालय सम्बन्दमान वायुमूलैयिलि