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जैनशिलालेख-संग्रह
सोड (जि० उत्तर कनडा, मैसूर)
शक १४४४ = सनू १५२२, कार [ यह ताम्रपत्र यहाँके भट्टाकलंक मठमें प्राप्त हुआ। हुलिगेरेकी शंखजिनर बसतिके लिए मल्लिसेट्टिने मासूरु मोसलेयकुरुवु विभागमें इम्मति देवराज ओडेयझसे कुछ जमीन खरीदकर दान दी । इसकी प्रेरणा देसिगणके विजयकीर्तिदेवके शिष्य चन्द्रप्रभदेवने दी थी। श्रावण शु० ५, गुरुवार, शक १४४४, विषु संवत्सर यह इसकी तिथि है। ]
(रि० सा० ए० १९३९-४० ए० क० १५ पृ० २२)
४६४-४६५
भंटगेरी ( मैसूर) १६वीं सदी (सन् १५२३), काड
[ये दो लेख है। पहला अनन्तनाथमूर्तिके पादपीठपर है। चैत्र कृ० ५, रविवार, स्वभानु संवत्सरके दिन यह मूर्ति अर्पित की गयी थी। इसका स्थापक हलुमिडि निवासी देविसेटिका पुत्र देवणसेटि था। मूर्तिका वजन १८० हल कहा गया है। दूसरा लेख चन्द्रनाथ मूतिके पादपीठपर है। यह मूर्ति आदिसेट्टि के पुत्र बोम्मरसेट्टि-द्वारा वैशाख शु० १, गुरुवार, स्वभानु संवत्सरके दिन अर्पित की गयी थी। दोनों लेखोंकी लिपि १६वीं सदीको है अतः संवत्सरनामानुसार ये शक १४४५ अर्थात् सन् १५२३ के प्रतीत होते हैं।] (मूल लेख कन्नडमें मुद्रित)
[ए० रि० मै० १९३३ पृ० १२४ ]