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जैनशिलालेख-संग्रह
[ ४३५मूलसंध-बलात्कारगण-सरस्वतीगच्छके वर्धमान भट्टारककी प्रार्थनापर राजा-द्वारा वरांग नामक ग्राम नेमिनाथमन्दिरको अर्पित किये जानेका उल्लेख है।]
[रि० सा० ए० १९२८-२९ क्र० ए १२ पृ० ५ ] [ इस ताम्रपत्रको प्रतिलिपि वरांग ग्रामस्थित नेमिनाथबसदिमें एक पाषाणपर उत्कीर्ण है। ]
[रि० सा० ए० १९२८-२९ क्र० ५२५ पृ० ४९ ]
४३५ माण्डू (धार, मध्यप्रदेश) (संवत् ) १४८३ =सन् १४२६, संस्कृत-नागरी [इस लेखमें सम्भवनाथको मूर्तिको स्थापनाका उल्लेख है। तिथि ( संवत् ) १४८३, वैशाख ( चैत्र ) शु० ५, गुरुवार ऐसी दी है । ] "
[रि० इ० ए० १९५४-५५ क्र० १८२ पृ० ४४ ]
बसरूर ( दक्षिण कनडा, मैसूर )
शक १३.३=सन् १४३१ [ यह लेख देवराय २ के राज्यमे शक १३५३ में लिखा गया था। इसमे जैन मन्दिरके लिए बसरूरके चेट्टियों द्वारा वहाँके बाजारमें आनेवाली चावलकी हर गाड़ीपर एक 'कोलग' दान दिये जानेका उल्लेख है।
[इ० म० दक्षिण कनडा २७ ]