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जैगशिकालेत-संग्रह
[80[ यह लेख पाश्र्वनाथमूर्तिके पादपीठपर है । इस मूर्तिकी स्थापना मूलसंघ-हनसोगे बलिके ललितकीर्ति भट्टारकने की थी। लिपि १४वीं सदी की है।
[ए० रि० मै० १९३४ पृ० १६९ ]
४१७ तगडूर ( मैसूर)
१४वीं सदी, कन्नड १ (कोंडकुन्दान्वय
२ (मू )लसंघ नागनन्दि ३ (अन)न्तमहारकशिष्य ४ नन्दिमहारकरशि५ ""यन्तगहू
६ "यिल्लेकन्तिय(र) ७ (स)न्यसनंगेरदु सुर- ८ (लोकक्के) सन्दर
[ इस निसिधिलेखमें मूलसंघ-कोण्डकुन्दान्वयके नागनन्दि भट्टारकके शिष्य नन्दिभट्टारककी शिष्या 'यिल्लेकन्तिके समाधिमरणका उल्लेख है । पाषाण टूटा होनेसे कुछ अक्षर नष्ट हुए हैं । लिपि १४वीं सदीकी है । ]
[ए० रि० मै० १९३८ पृ० १७३ ]
४१८
चामराजनगर ( मैसूर )
१५वीं सदी, कन्नड ५ श्रीमूलद संगद का- २ जूर्गणद अन३ न्तकीर्तिदेवर गुड
५ बोप्पय सन्ब. सनविधियि
[ इस लेखमें मूलसंघ-काणूर गणके अनन्तकीतिदेवके शिष्य बोप्पयके समाधिमरणका उल्लेख है । लिपि १४वीं सदीकी है। ]
[ए० रि० मै० १९३१ पृ० ११२ ]