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शिंगिकुलम् आदिके लेख
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३३१-३३२ शिगिकुलम् ( तिन्नेवेली मद्रास )
सन् १२५३, तमिल [ये दो लेख भगवती मन्दिरके दीवारोंपर खुदे हैं। पहलेकी तिथि मारवर्मन् सुन्दर पाण्ड्यदेव (द्वितीय ) के राज्यवर्ष १५ का ३६०वां दिन यह दी है तथा दूसरेकी तिथि कोणेरिणमकोण्डानके राज्यवर्ष १५ का ३८८वां दिन यह दो है। पहलेमे जो राजाज्ञा है उसीका पालन होनेका वर्णन दूसरे लेख में है। इस आज्ञाके अनुसार राजमन्त्री अण्णन् तमिलप्पलवरैयनकी प्रार्थनापर राजा-द्वारा स्थानीय जिनमन्दिरको भूमिको करमुक्त किया गया था। यह भूमि पुगलोकरनाथनल्लरनिवासी मदि. सागरन् आदिभट्टारकन्-द्वारा मन्दिरको अर्पित की गयी थी। मन्दिरका नाम न्यायपरिपालपेरुम्बल्लि तथा उसमें स्थित जिनमूर्तिका नाम एणक्कुनल्लनायकर था । मन्दिर जिस पहाडीपर था उसको जिनगिरिमल यह नाम दिया गया था। वर्तमान समयमे इस मन्दिरकी जिनमूति गौतम ऋषिके नामसे पूजी जाती है । ]
[रि० सा० ए० १९४०-४१ क्र० २६९-७० पृ० १०५ ]
३३३ सहेट महेट ( उत्तरप्रदेश) संवत् ११७७ = सन् १२५५, संस्कृत नागरी [ तीन चरणपादुकाओके एक पट्टपर यह लेख है। इसके मध्यमे स्वत् ११७७ ऐसा निर्माणकालका उल्लेख है । लेखका अन्त 'प्रणमति नित्यं' इन अक्षरोंसे हुआ है । अतः यह जैन लेख प्रतीत होता है । ]
[रि० आ० स० १९१०-११ पृ० १८ ]