________________
जैनशिलालेख-संग्रह
[३१३
[ इस निसिधिलेखमें मूलसंघ-कुण्डकुन्दान्वय-काणूर गणके माधवचन्द्रदेवकी शिष्या तथा गोकवेकी कन्या नागवेके समाधिमरणका उल्लेख है । लेखकी लिपि १२वीं सदीकी है। ]
[ए० रि० मै० १९४१ पृ० १९२ ]
३१३
हम्पी ( बेल्लारी, मैसूर )
कन्नड, १२वीं सदी [ यह लेख एक भग्न स्तम्भपर १२वीं सदीकी लिपिमे है। इसमें गोल्लाचार्य, उनके शिष्य गुणचन्द्र तथा उनके शिष्य इन्द्रनन्दि, नन्दिमुनि .. तथा कन्तिका उल्लेख है।
[रि० इ० ए० १९५५-५६ क्र० ३३५ पृ० ५० ]
३१४
कलकत्ता ( नाहर म्यूजियम )
कमड, १२वीं सदी १ देमायपगलाणन्तियनोंपि निमित्त२ वागि माडिसिद प्रतिष्ठे
[ यह लेख पीतलको चौबीस तीर्थकरमूर्तिके पिछले भागपर खुदा है । यह मूर्ति देमायप्प नामक व्यक्तिने अनन्तव्रतकी समाप्तिके समय स्थापित की थी। लिपि १२वीं सदीकी है। लिपिसे पता चलता है कि इसका निर्माण कर्नाटकमे हुआ था।]
[ए० रि० मै० १९४१ पृ० २५० ]