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-२८८] कुमारवीडका लेख
२१३ मण्डलाचार्य यह विरुद दिया। इस नगरके मूलवसतिका नामक जिनमन्दिरका भी यहाँ उल्लेख है। अनन्तर क्रमशः अजितचन्द्र , चारुकोति, यश:कीति, तथा क्षेमकीर्ति इन मुनियोंका नामोल्लेख है। किन्तु इनका परस्पर सम्बन्ध स्पष्ट नहीं है। इसी तरह आगे मण्डलगणि ललितकीतिका उल्लेख है जिनने सम्भवतः यह जीर्णोद्धार कार्य कराया था। इस लेख की रचना प्रवरकीतिने को थी। इसका ४२वां पद्य मदनकीर्तिकृत शासनचतुस्त्रिशिकासे लिया गया है। ]
[ए० ई० ३३ पृ० ११७ ] २८८ कुमारवीड ( मैसूर )
कमड, १२वीं सदी १ श्रीमतपरमगंभीरस्याद्वादामोधलांछनं जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य
शासनं जिनशासनं (1) जयति स२ कलविद्या (दंबतारत्नपीठं हृदयमनुपलेपं यस्य दीपं स देवः ) __ जयति तदनु शास्त्रं तस्य यस्स ( मिथ्या ) ३ समय ( तिमिरहारि ज्योतिरकं नराणां ) स्वस्ति समधिगतपंच
महाशब्द महामंडलेश्वरं द्वारावतीयु४ रखराधीश्वरं यादवकुलांवरामणि सम्यक्त्वचूडामणि मलेराजराज
मलपशेलुगंडायनक५ नामावलीसमलंकृतरप्प श्रीमत् त्रिभुवनमल तलेकाडु कोंडुनंग
लेगंगवाडिनोलंबवाडिवनवासि ( मुंदे बरवण्णगेयिल्ल ) [ यह लेख किसी जैन सैनिककी मृत्युका स्मारक है । होयसल वंशके किसो राजाके विरुद प्रारम्भमें दिये है । किन्तु राजाका नाम तथा सैनिकके नामादिका विवरण नहीं मिलता क्योंकि लेख अधुरा है।।
[ए० रि० म० १९३८ पृ० १६८ ]