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जैन शिलालेख संग्रह
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रताल ( जि० धारवाड़, मैसूर )
शक १०४५ = सन् ११२३, कन्नड
[ यह लेख चालुक्यसम्राट् त्रिभुवनमल्लके समयका है । उस समय बनवासि तथा पानुंगल प्रदेशोपर कदम्ब कुलका महामण्डलेश्वर तैलपदेव शासन कर रहा था । मूलसंघक्राणूरगणके कनकचन्द्र के शिष्य गंगर बम्मिसेट्टिने कोन्तकुलि विभागके प्रमुख नगर पयिट्टणमे एक मन्दिर बनवाया । बिसेट्टि बट्टकेरेका निवासी था । इस लेखकी तिथि पोष अमावास्या, सूर्यग्रहण, रविवार, शक १०४५, शुभकृत् संवत्सर ऐसी दी हैं ।] [रि० स० ए० १९४३ -४४ एफ् १]
२०३
हिरेसिंगनगुत्ति ( बिजापुर, मैसूर ) ११वीं - १२वीं सदी, कन्नड
[ २०२
[ इस खण्डित लेखका समय चालुक्यसम्राट् त्रिभुवनमल्लदेव (विक्रमादित्य पष्ठ ) के राज्यका है। देसिगगण - पुस्तक गच्छके आचार्य बालचन्द्रका इसमें उल्लेख है । किसी मन्दिरके लिए उन्हे कुछ भूमि अर्पण की गयी थी ।]
[ मूल लेख कन्नडमे मुद्रित ]
[ सा० इ० इ० ११ पृ० २६२ ]
२०४
तोगरकुण्ट ( अनन्तपुर, आन्ध्र ) ११वीं - १२वीं सदी, कन्नड
[ यह लेख चालुक्यराजा त्रिभुवनमल्लके समय एक सूर्यग्रहण के अवसरपर लिखा है । इसमे तोगरकुण्टेके चन्द्रप्रभदेवबसदिके लिए दण्डनायक