________________
१३७
-10] तिरुनिकोण्डे भादिक लेखा
1. यं ब्राह्मणरं नोसिद फलमन् एनुवरु १८ स्वदतां परदत्तो वा यो हरेत बसुन्धरांप१९ टिषसहस्राणि विष्ठायां जायते क्रिमिः ।।
[ इस लेखमे तोललके जिनमन्दिरके लिए नेमिचन्द्र पण्डितको नविलूर ग्राम दान दिये जानेका उल्लेख है। यह दान हिरियमुद्दगौण्ड, बिलिगोण्ड तथा अन्य ५२ निवासियों द्वारा दिया गया था। लेखमे प्रारम्भमें त्रिभुवनमल्ल ( विक्रमादित्य षष्ठ )के किसी माण्डलिकका उल्लेख है।
[ए. रि० मै० १९२७ पृ० ४४ ]
१७३ तिरुनिडंकोण्डै ( मद्रास)
तमिल, ११वीं सदी उत्तरार्ध [ इस लेखके प्रारम्भमें कुलोत्तुंग चोल ( प्रथम )को ऐतिहासिक प्रशस्ति है। राजेन्द्रशोलचेदिराजन् द्वारा देवमन्दिरमे दीपके लिए कुछ धान अर्पण किये जानेका इसमें उल्लेख है। उडैयार मल्लिषेणका उल्लेख है जो स्पष्टतः कोई जैन आचार्य थे। लेख चन्द्रनाथ मन्दिरके मुख्य द्वारके पास खुदा है।
[रि० सा० ए० १९३९-४० क्र० ३०१ पृ० ६५ ]
१७४ ऊन ( मध्यप्रदेश)
१५वीं सदी, संस्कृत-नागरी [ इस स्थानमे कई जैन मन्दिरोके ध्वस्त अवशेष है। इनमें एक मन्दिरके एक छोटे-से लेखमे मालवराज उदयावित्यका उल्लेख है। अतः यह मन्दिर ११वी सदीका बना है यह स्पष्ट होता है। ]
[रि० आ० स० १९१८-१९ पृ० १७ ]