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मत्तावारका लेख २८ मनेगल माडिसि रिषिहरिकयेंदु पेसरनिटु २९ मनेदेरे मादुवेदेरे ऊरुट्टिगे तौदे सु. ३० रंदु कवर्ते सेसे भोसगे मनकरे कूट क३१ कन्दि बीरवण कोडतिवण कत्तरिवण अडेकलु३२ वण हडवलेय हदियराय कुंवर वि३३ हि कमर विष्टि यिवोलगागि हलवु महिमे३४ गलं विनयादित्यहोरसलदेवर् प्राचंद्रार्क३५ तारंवर सलगे ॥ इन्ती धर्मदोलावनानुं तप्पिद३६ वं गंगेयलु गंगेयं कोंदु तिन्दं लिंगालि. ३७ पं गेयदनिस्थानवे कट्टेगल स्थानं जागवल्ल ३८ मत्तावुर हल्लिय गावुण्ड तानित्तुदक्के पे-- ३९ न्दे नित्तुददक्के देवगृह ४० वह नानवक-होलहा-बागि ॥ ४०००००
यह लेख होयसल वंशके राजा विनयादित्यके समय वैशाख शु० १३, बृहस्पतिवार, शक ९९१ पिंगल संवत्सरके दिन लिखा गया था। मत्तवूर ग्रामके लिए एक नहर बनवायी थी तब राजा विनयादित्य वहाँ गये थे। इस ग्रामकी बसदि ग्रामके बाहर एक पहाड़ीपर थी। उसे देखकर राजाने ग्रामीणोंसे पूछा कि ग्राममे बसदि क्यों नहीं है ? इसपर माणिकसेट्टिने कहा कि ग्राममें बसदि बनानेकी हमारी इच्छा है किन्तु हम गरीब है। तब राजाने ग्राममें बसदि बनवाकर नाडलि ग्रामके कुछ करोंका उत्पन्न उसे दान दिया। माणिकसेट्टि, राजगावुण्ड तथा मुद्दगावुण्डने भी बसदिके लिए कुछ भूमि दान दी।]
[ए.रि. मै० १९३२ पृ० १७१ ]