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बिदलरुके लेख
कृतु-संवत्सरद वैशाख-सुख ५ आदिवार दलु श्रीमन्-महा-मण्डलेश्वर इन्दगरस-वोडेयरु तमगे पुण्यार्थवागि बरसिद धम्म-शासनद क्रमवेन्तेन्दरे विदिसर बस्तिय वर्द्धमान-स्वामिगळ अङ्ग-रङ्ग-नैवेद्य-नित्य-नैमित्तिक-जिन-पूषाङ्गविनियोग-मुन्ताद-श्री-कार्यक्के पूर्वदलि बिडु-देवसवागि हिरण्योदक-धारा-पूर्वकवागि-आ-चन्द्रार्क-स्थायियागि सर्वमान्यवागि बिट्ट भूमिगळ विवर ( यहाँ दानकी विगत आती है ) ई-बिट-कुळ-स्थलगळ नीरञ्चु नेलनरकलु नट्ट-कल्ल तेगदगळु गडियिन्दोळगाद चतुस्सीमेगे बन्द मकि हक्कलु कानु काडारम्भ नीरु दारि निधिनिक्षेप-अक्षीणि-आगामि-सिद्ध-साध्य-मुन्ताद तेज-मान्यगळनुळ ई-कुळ-स्थळंगळ मेले काणिके कड्डाय बीडुगळ विराड-मुन्तागि आवौपुत्र-इल्लदे सर्वमान्यवागि आवर्द्धमान तीर्थ-करिगे हिरण्योदक-धारा-पूर्वकवागि आ-चन्द्रार्क स्थायियागि बिड्डुदेवस्व वागि शासनाङ्कितवागि नावु बिटु-कोट्ट धर्म-शासनद पट्टे यिन्तप्पुदक्के साक्षिगळु ।
आदित्य-चन्द्रावनिलो-इत्यादि ॥ ई-धर्मके आ रोब्बरु तप्पिदवरू ऊर्जन्त-गिरियल्लि सहस्रगो-ब्राह्मणर हतिय माडिद पापक्के होहरु यरडूवरे-द्वीपदोळगुळ चैत्य चैत्यालयदोळगुळ जिन-मुनिगळ वघसिद पापक्के होहरु (हमेशाके शापात्मक वाक्यावयव और श्लोक ) यिन्दगरस बरह।
[जिनशासनको प्रशंसा। ___ तौलव देशमें, प्रसिद्ध सङ्गीतपट्टनमें काश्यपगोत्र और सोम कुलके महाराज इन्द्रके पुत्र सनि-राजके पुत्र राबा साळवेन्द्र शोभायमान था। वह बिनभक्त था ओर उसकी माता सङ्कराम्बा थी। इम्मडि-साळवेन्द्रके पराक्रमको प्रशंसा । उसके यशकी प्रसिद्धिका कीर्तन । .
जिस समय इन और अन्य उपाधियों सहित, सङ्गी-राय-वोडेयरका पुत्र, महामण्डलेश्वर इन्दगरस-वोडेयर शाही नगर सङ्गीतपुरमें थे :-(उक्त मितिको),