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यिडवाणिके लेख
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स्वस्त्यनवरत-विनमदमरेन्द्र-मौळि-माणिक्य-मयूख-बालातप-विलसित-पादारविन्द श्रीमदनादि-ससिद्ध-प्रसिद्धरमप्प यिडुणिय श्री-पाश्व-तीत्थेश्वररिगे मलेय-हलिय मार्तण्डनिडिग येण्टु-दण्डिगेय मन्नेयर गण्ड उभय-नाना-देशिगळगे तवर्मनेयाद ऐश्वर्यपुर-वराधीश्वर श्रीमन्महाप्रभु भैरण-नायकर तम्म अम्म सिरु-मादेवियवरिगू तमगू तम्म कारुण्य-वर-प्रसाददि सेवेयं माडुत्तं यिद पारिस-गौडरिगू पुण्यवृद्धि-यशो वृद्धयर्थ-निमित्तवागि कोट्ट धर्म-शासनद भाषा-कमवेन्तेन्दरे । नाऊ आळत्तं यिद होर-गुप्पे हेब्बयल-नाडोळगण अप्पु-गौडन नक्कणन पाल कुळ ग २.२ अक्षरदलु यिप्पत्तु-यरडु-हणबिन कुळवनु श्री पाश्व-तार्थेश्वर नित्य-पूजामहोत्साहके अमृतपडि यरडु-होत्तिन हिरिय-देवर हाल-धारे मृत्युञ्जय-चक्र-पूजे पञ्चामृतद अभिषेक सिद्ध-चक्र-पूजे सिद्धर हाल-धारे अडके यले गन्ध धूप एण्णे वाद्य-मुन्ताद समस्त-पूजा-वेच्च के नाव सोम-सूर्य-ग्रहणदल्लि धारा-पूर्वकदि बिटु कोट योग २२ हणविन कुळ-स्थळद वृत्ति-भूमिगळ विवर ( यहाँ दानकी विस्तृत चर्चा है ) यिन्ती-बृत्ति भूमिगळ चतुस्सीमेगाळन्दोळगाद मोदल सिद्धाय ई-मोदल सिद्धाय अदक बन्द अडके-यले-मुन्ताद होरगुप्पे हेब्बाल-नाडोपादियल्लि बन्द नाना-उपोत्र मुन्दे येनु बन्द हदिके-होदके-मुन्तागि एल्लववनू नाऊ नम्म स्त्रीपुत्र-ज्ञाति-सामन्त-दायादानुमतदिं नम्म स्व-रुचियिं चन्द्र-सूय-अग्नि-वायु-साक्षियागि..... पण मायकर वर-कुमार भैरण्ण-नायकरु बरसिकोट्ट शोला-शासनक्के मङ्गळ महा श्री श्री ( यहाँ हमेशाका अन्तिम श्लोक तथा दानका विस्तृत चर्चा आती है)।
स्वस्ति श्री विजयाभ्युदय-शालिवाहन-शक-वर्षे १३९६ नेय विजयसंवत्सरद कात्तिक शुद्ध ५ बुद (घ) वारदलु स्वास्त श्रीमद्-वादीन्द्रविशालकीति-भट्टारक-स्वामिगळ वुप्रदेशदिन्द स्वस्ति श्रीम-महा-प्रभु-मुण्डु. वण्ण-नायकर कुमार भैरण नायकरु तमगे अभ्युदय-निश्रेयम-सुम्व-प्राप्ति-निमित्तवागि मळेयखेडद नेमिनाथ-स्वामिगळ नित्य पूजा-महोत्सवक बिट्ट धर्मशासनद क्रमवेन्तेन्दरे ( यहाँ दानकी विस्तृत चर्चा आती है ) नम्म स्त्री-पुत्रशाति-सामन्त-दायादानुमतदिन्दलू नाऊ नम्म स्व-रुचियिन्द चन्द्र-सूर्य-वायु-अग्नि