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जैन-शिलालेख संग्रह मायदेवके पुत्रका नाम पूर्णपाल बतलाया है। इनमेंसे आदिजिनसंघाधिपति काला' सदा प्रणाम करते हैं। [ JASB, XXXI, P. 404, a. . 422-423, t. & tr.]
६३४
पर्वत बाबू ;-संस्कृत। [सं० १४६७१४१० ई.]
स्वेताम्बर लेख। [ Asiat. Res. XVI, p. 313, No XXVII, a.]
६३५
श्रवणबेलगोला;-संस्कृत। [वर्ष क्षय-शक १३६८१४४६ ई.(कीलहौन )]
. [जै० शि० सं०, प्र० भा०]
६३६ म्यूनिवा-संस्कृत।
[सं० १९०३-१४१६ ई.] [J. Klatt, IA,XXIII, p. 183, t. & tr.]
-पयुक अनुवादकी शुद्धता बाबू राजेन्द्रकाल मित्रकी टिम सन्वे. हास्पद है। 'काका' माम उन्हें अशुद्ध मालूम पड़ता है। यह अनुवार बाकी