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बेगूरके लेख
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६२१ बेगूर;-संस्कृत तथा काद-मग्न ।
[ शक १३४६ = १४२७ ई. ] [ बेगूरमें ( बेगूर परगना), ध्वस्त जिन-वस्ति
श्रवणप्पनदिन्नेमें पषाणपर ] श्रीमत्परमगम्भीरस्याद्वाटामोघलाञ्छनम् ।
जीयात् त्रैलोक्य-नाथस्य शासनं जिनशासनम् ।। स्वस्ति शक-वरुप १३४६ नेय पराभव-संवत्सरदजु श्री-मूल-संबद देशोय-गगद कोण्डकुन्दान्वयद पुस्तक गच्छद ... ... ... श्रीमतु प्र ... ... .. सिद्धान्तिदेवर शिष्यरप्प श्रीम च्छुभचन्द्रसिद्धान्तिदेवर गुड्ड चकिमय्यन नागिय करियप्प -दण्डनायक, रप्प टण्ड ... ... ... ... मोरम-नाडाळ्वन्दे काटि ... .. कलियूरग्रहार कोट सर्व.बाध-परिहारबागि चोकिमय्य जिनालयं चन्द्रादित्यरुळनक सल्वन्तागि ... ... धर्मम नडमुवन्तागि ..... ... ... (वे ही शापात्मक वाक्य) श्रीम ... ... ... ... .... ण्डनायक चोकिमय्य ... ... ... ... ... रडु निलिसिदनु कलु ... ... मडिसिकोट ... ... [जिनशासनकी प्रशंसा ।
( उक्त मितिको ), श्री-मूलसंघ, देशिय-गण, कोण्डकुन्दान्वय तथा पुस्तकगच्छके प्र... ... सिद्धान्ति-देवके शिष्य शुभचन्द्र-सिद्धान्ति-देवके गृहस्थ शिष्य किमय्यके (पुत्र) नागिय करियप्प-दण्डनायकने ... ... ... ... जब वे मोरसु-नाड् पर शासन कर रहे थे, कलियूर अग्रहारके लिये दान ( जो कि मिट गया है ) किया, ताकि चोकिमन्य जिनालय तबतक जारी रहे जबतक सूर्य और चन्द्रमा है । शाप]
( EC, IX, Bangalore tl., No. 82 ]