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हिरे-आवलीके लेख
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श्रीमद्-राय-रावधानि-हस्तिनापुर-विजयानगर-मुख्यवाद-समस्त-पट्टणाधीश्वर अश्वपति-राजपति-नरपति-अरिराय-विभाड ससस्त-भुवनाश्रय पृथ्वी-वल्लभ महाराजाधिराज श्री हरिहरराय राज्यं गेय्युत्तमिपनि तत्प्रधानि हरिय-रायन'.. कालदल्लि भाव संवत्सर-फाल्गुण मास-बल-एकादशी-बुधवारद...." कान रामणन सति कामीगोण्डि सन्यसनि-विधियिं मुडिहि स्वर्गस्थेयादळु ॥ वृ ।। सुपात वन्य-पार्श्व-जिन-पाद-सरोजद युक्त-कान्तियुम् ।
घर-नुत-राय-राज-गुरु सिद्धान्ति-यतोशने तन राध्यनुम् । भर ...न- नाड जिडडुळिगे आवलि-पुराधिप बेच-गौण्डनुम् । उरुतर-माम बोम्म नुमत्तेयु शोभिप कामि-गौण्डियुम् ।। कान-रामण [न] तियेने । दानटोळं धर्मदल्लि सन्यसनियम् । येनु तडावल्ल मुडिहिदम् । मान पतिव्रते नाकर्म नेरे पडेदन ।। मङ्गळ महा श्री श्री श्री ॥
[ जिन शासनकी प्रशंसा । जिस समय राबधानी हस्तिनापुर-विजयनगर और समस्त शहरों पट्टण ) का अधीश्वर, महाराजाधिराब हरिहर-राय राज्य कर रहे थे:- उसके मंत्री हरिहर-रायके समयमें, ( उक्त मितिको ), कान-रामणकी स्त्री काम-गौण्डिने, 'सन्यसन' लेकर, मृत्युको प्राप्त होकर स्वर्ग गयी। आगेके श्लोको में बतलाया गया है कि राजगुरु सिद्धान्ति-यतीश उसका पुरोहित था, जिलिगेनाड्के आवाल-पुर । अधिप बेच-गौण्ड चाचा था; बोम्मर उसकी सास थी।]
[ Ec, VIII, Sorab tl., No. 103.]