________________
होन्लेनहल्लिके लेख
५५१ होन्नेनहल्लिा-काद।
[शक १२२५ = १३.३ ई.] [ होन्नेमाविक ( निवाणि प्रदेश ) में,बस्तिके प्रवेशके बायीं ओरके पत्थरपर] ___स्वस्ति श्री मूलसंघ देशियगण पोस्तकगन्छ कोण्डकुन्दान्वय हनसोगेय बळिय श्री बाहुबलि मनपारि-देवर प्रिय-शिष्य-रुमप्प श्री पद्मनन्दि-भट्टारक-देवर शक-वर्ष १२२५ शुमचतु-संवत्सरदन्दु होन्नेयमहरिहय बसदिय गन्धगुडियनु गद्याणं हदिनय्दनू कोटु माडिसिदरु (बाहुबलि-देवरु पारिल-देवर बरसिदर ) मङ्गळमहा श्री इवनळिदवरु नरकके लोहरु ।।
[ पद्मनन्दि-भट्टारक-देवने, चो मूलसंघ देशीगण पुस्तकगच्छ तथा कोण्डकुन्दान्वयके, और हनसोमेके बाहुबलि-मलधारि-देवके प्रिय शिष्य थे, होन्नयनहनि बसदिको १५ गद्याण' (गद्याण एक सिका (मुद्रा) विशेष है ) दिये और उसके लिये पगम-गुडि' भी बनवायी थी। (इस लेखको बाहुबलि-देव और पारिश्वदेवने लिखा या।)]
PEC, IV, Hansur tl., No. 14]
५५२
श्रवणबेलगोलाकार। [शक १९५५=१३३ ई.]
[जै० शि० सं०, प्र. भाग]