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जैन - शिलालेख संग्रह
कलि-बमं नृपतिगं बा - देवि गवुदित-भद्र-लक्षण-वक्षस् ।
-स्थळक निरुळ धारा 1.
तिळके नळ - नहुष- भरत चरितं नेगळ्दम् ॥ हरि गोवर्द्धन गोत्रमं दशमुखं रुद्राद्वियं राम किं 1 कररुमाचळ - कोटियं रविसुतं तेर्-गालियं पूण्डु दु - र्द्धर-संरम्भदिनन्दु मेट्टि किळे नोन्दायासविन्दारितु - वर्धरेगी-दक्षिण बाहु-सङ्गदिनिरुङ्गोळ- क्षमापाळन || कुळिकन लवलविके लया -1 नळनुरुवणि सिडिल सडगर मिल्तुविन | भगळिके जवनुज्जगं माप 1 ओळेवुदिरुङ्गोलनानिगेत्तिद बाळोळ् ॥
अन्तु नेगळ्द निगलंक -मां परनारी- सहोदरन स्वत्तनावर मण्डळिकर तलेगोण्ड मण्डद्दण्ड मण्डळिक दानव-सुरान्तकं रोद्दद गोवं बाण्डर बावं खड्ग-सहदेब देव-देव-सदाशिवपादाब्ज-सेवा-समुन्मिषत् प्रभाव निरुङ्गोळ-देवं राज्यं गेय्युतमिरे तत्पाद - पद्मोपनीवियप्प गङ्गय नायक चामाङ्ग नेगबुद्भविसि गयन मारेयं श्री-मूल- संघद देशिय गणद कोण्डकुन्दान्वदय पुस्तक- गच्छद वाद-वळिय श्री - वीरनन्दि - सिद्धान्त चक्रवर्त्तिगळ शिष्यराद मेदिनीसिद्धर पद्मप्रभ-मलधारि देवर चरण - परिचर्येयिं पर्याप्त कामितराद नेमि पण्डितरिनङ्गीकृत-बखनादम् | आगि ||
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काळाजन वेम्बुदिरु - गन गिरिदुर्गावन्तदभ्रङ्क -
भीळतर- चूळवदरुत् । ताळतेयने नोडि धात्रि निडुगलेन्दुम् ॥ भा-कुकी ळद बदर-त ।