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जैन-शिलालेख-संग्रह
नाथ-देव.ससिदडेकान्तद-रामय्यनब्बळूर ब्रह्मेश्वर-स्थानदोळु निस्पृहवृत्तियिन्द
मिरे ॥ क । (1) ३४ यु (उ) लिदड्डि-बन्दु जैनपलरन्ता सङ्क-गौण्ड-सहितं पिरिदुं चल दिं ___ कैवारिसिदोंलगदे बिन दैवनेन्दु शिव-संधियो ॥ व ॥ आदं केळदे
कान्तद-रामय्य३५ नति-ऋद्धनागि शिव-सनिधियोळन्य-देवता-स्तवनं माडलागदेण्दडदं माणदे
नुडियुत्तिरलिन्तेन्दम् ॥ ३ ॥ जगमं माडवनावनावनावनदना३६ पत्का [ल] दोळ्कावनि मिगे कोपं तनगागे संहरिसलावं दक्षणा शम्भु सर्व
गनिहन्ते गत-प्रभाव-वैभाव संसारदोळ, बिदु दंदुगदोळ ब? तपक्के सार्दु ३७ सुखमं पोर्पिनुं देवने || क ॥ हरनन्तिरीवने निम्मरुहं मुं-कोट्टिटाबुदाबुदु
मुन्न हरनोळ पडदरनेकवरमं बाण-दिनिशाळ-मक्त-गणङ्ग ॥ क ॥ एने जै३८ नरेङ्गनी मुम्निन हितरं हेळलेके निम्नय सि (शि ) रमं बनमरियलरिदु
कोट्टातनोळि पडे नोने भक्तनातने देवम् ॥ ॥ एनलेकान्सद-राम
मनसित-रिपुगित्त तलेय ३६ नाम् पडेदडे नीवेनगीव पणमदेनेने मुनिदेन्दर्जिनन किन्तु शिवनं निलिपेवु
॥ क ।। एने कुडुवुदोलेयं नीवेनगेन्दित्तोले गोण्डु शिरमं तां भोङ्केनबरिदु
कुडुव पददो४० ळु शिवनं सानिध्यमाडि रामं नुद्धिगुं ।। वृ ।। उडुगदे शंभु नीने शरणेम्न
ददं मनमन्यबा (भा) वदोकोडर्दडमी कि (कृ) पाणमुखदिं तले पोगदे निल्कदलदि११ इंडे शिव निम्न मुसडिगुरुळुगेनुतं कलि रामनार्दु केयिाडदरिदिक्कलारयिसिदं शिरमं शिवननि-युग्मदीळ ॥ ३ ॥ अरे-गाय-गोण्डने कित्तु नोडिदने
कूपङ्ग४२ कि मैपि ( मेय् ) गाग्दने सेरगं पाईने बाळगे भक्तरेनुतं बल्लाळ राम