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जैन - शिलालेख - संग्रह
१४ सरसी- सन्दोहदिम् सारसोन्मद-भृङ्गि पिक-कोक- के कि- शुंक-संघानीक- शाकुन्तनाददित्तम् गणिका - विनोद-कृत-वीणा-नाददिदोप्पुगुम् ॥ व ॥ अन्तपरिमित-के
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१५. दार-भूमियुमपारजलाश्रयाभिराममुं बहुजनाकीर्ण-मुममेय-गणिका-निवासमुमगणितवणिग्ननाश्रयमुमेनिसि शोभानिवासमागे ||
१६ वृ || अवतरिसिर्द्दनलि रबताचलदि गिरिजा समेतमुत्सवदोळे सोमनाथनखिला मरमौलिविनद्धरत्न संभव किरणप्रभापटलपुञ्जपरागपदान्बन थियिन्द
१७ वनत-भाक्तिकाभिमतसिद्धि फलोदयकल्पभूरुद्दम् ॥ क|| आ सोमनाथपुर-संवासितरोळु ब्रह्मपुरिंगळोळ् विप्ररोळा व्यास-शुक-वामदेव- पराशर - कपिलादि-सहन -
१८ न्नेगळ्दम् ॥क|| श्रीवत्स गोत्रनुब्बींदेवनुतं निखिलवेदवेदाङ्गविदं पावनचरित्रगुण सद्भावं पुरुषोत्तमं द्विजोत्तमनेनिपम् || || आ विमन सति सीतादेविगवा [स] त्य
१३ तपन-सतिगं गुण-सद्भावदे पद्माम्बिके सले पावन - सुचरित्रे पतिहित त्रतेयेनिपळ ॥ आ दम्यतिगळ् पलकाल वनपत्यरा गिद्दन्दु देवसं नापुत्रस्य लोकोस्ति येव वेदवाक्यमम् ति
२० [ हिदु ] || || पुत्रात्र्त्यवागि सत्यपवित्राचरणं नेगळदपुरुषोत्तमनापत्त्राणनीशनेन्दु कलत्रान्वितनागि शम्भुवं पूजिसिदन् || || अम्नेगमित्त दिविज - दनुजबृन्दवन्दित-पादारविन्द
२१ [ नप्प ] महेश्वरं कैलास-पर्व्वतद रम्यभूमियोळु केशव वासवाब्जभवरोलागिसलसंख्यातगणपरिवृतनुमासहितं वोडोलगदोळु सुखसंकथा
२२ विनोददिन्दमिरे नारदनेम्ब गणेश्वरनिन्तेन्द || || ओहिल दास चेन्नसिरियाळ हलायुध बाणनुद्भर्देहदोळोन्दि बन्द मलयेश्वर केशवराजरादिया गहि