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जैन-शिलालेख-संग्रह
उरमोग्र-ग्रह-शाकिनी-विहग-भूत-प्रेत ...ग-मी-। कर-भेता ... ... ... गणं भू-चक्रदोळ् तोरलु । द्धरिसित्तन्तदे यन्त्र ओदिदुदे मन्त्र कोट्ट बेर् त्तन्त्रव-1
चरि सैद्धा ... ... ... " नि नाथोग्राशे सामान्यमे ॥ स्वस्ति श्रीमत् स (श)कनृप-कासातोत-संवत्सर-सतंग...भवेनेय २०६६ नेय श्रीमत्-कळचुय्य-भुन-बळ-चक्रवर्ति राय ... ... नेय हेमळम्कि संवत्सरद ज्येष्ठ-सुद्ध-दशमियादिवारदन्दु ... ... ण-सङक्रान्ति-व्वती ... ... ... थियोळ श्रीमद्-एळम्बल्लिय देकि सेट्टि तन माडिसिद शान्तिनाथ ... .... उदिय खण्ड-स्फुटित ... ." यर-जीयराहार-दानकं चातुर्वण श्रवण-संघक्केन्दु भीमन्मूल-संघद काण्ग ... .' गच्छद कोण्डकुन्दान्वयद नुन-वंशद क्षीर-जळ-माळातिश्य (शय )-त्रयोस्कृष्टानादि-संसिद्ध ... ... पुराधिनाथ-श्रीशान्तिनाथ घटिकास्थानद मण्डलाचारिप श्री-भानुकीर्ति-सि ... ... कालं कचि धारा-पूर्वकं माडि गोळिकेरेय बयललु ( यहाँ पर दानको विगत दी है) अन्ता-स्थानमं तम्म शिष्यरप्प मंत्रवादि-मकरध्वज श्रत ... ... रिंगे कोहरु ॥ ( हमेशाके अन्तिम श्लोक और वाक्यावयव )।
[(शिलालेखका अधिकांश मिटा हुआ है)।
नागवल्लि-कुल और नागरखण्डका वणन । कदम्ब राबा सोयि देवकी प्रशंसा । बनवसे-नाइका शासन विक्रमादित्यको मिला था, जिसे हरवे, कोंकण, प्रसिद्ध गङ्गवाडि, और तु .. के राजा आकर भेंट देते थे।
विस समय, अपने समस्त पदों सहित, महा-म [ण्डलेश्वर ] ... बनवसे १२००० पर शासन कर रहे थे :-नागवल्लिके आकर्षणोंका वर्णन । गावणिग कुलमें उत्पन हुआ केरेय [ म-सेटि ] था, जिसका पुत्र देकि-सेहि था । सङ्कगवुण्डने देकि-सेष्टि के साथ मिलकर एलम्बळ्ळिमें एक विनमन्दिर बनवाया । उसके (सङ्कगवुण्डके ) भानुकीर्चि-बतीन्द्र गुरु थे, मा प्रसिद्ध ... ..", पल्ली गङ्गाम्बिके