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जैन-शिलालेख संग्रह
सिवान्ताम्भोनिषान-प्रविसरदमृतास्वादपुष्ट प्रमोदः । दीचा-शिदा-सुरक्षाक्रमकृविनिपुणस्सन्ततं भव्य-सेव्यः
सोऽयं दाक्षिण्य मूर्तिर्जगति विजयते वासुपूज्य-अतीन्द्रः॥ भीमतु-पक्षणवि-देवर शिष्यरु मुगुन्यि पारुश्व-देवरु रुषिरोवारि-संवसरद माद्रपद-ब १३ ब्र॥... ... ... ...
लेख स्पष्ट है। [EC. V, Harsam TI., No. 128.]
का-संस्कृत तथा काद। [शक १.६५% १७६ई.]
[जै. लि. सं०, प्र. भा.1 ३८२ दोहदा-संस्कृत-मग्न [श्वेताम्बर सम्प्रदायका लेख] [IA, X, p. 168, t.]
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[ निर्देश रहित, पर १७४०१ (लू. राइस)।]
[भाबु में, पस्त बस्तिमें एक सम्मेपर] अनुपम-पुण्य-भाजने चिनेन्द्र-पदान्ज-विलीन-चित्ते पा-1 वन-सु-चरित्रे हयंते महासति तनक्सान-कालदोळ् ।