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बेलूरके लेख
सले सन्द योग्यतेयनालिसिद दुर्द्धर-तपो-विभूतिय पेम्पिम् । कलियुग-गणधररेमबुद्ध नेलनेल्लं मलिषण-मलबारिमलं ॥
अवरि बलिक मकलंक-सिंहासनमनलंकरिसि तार्षिकचक्रवर्तिगलु' वादीमसिंह रुमेम्ब पेसरेसेये।
अवसर्पिण्यदिन [दि ] तुलुगडे जिन-जीमूत-संभात-मी भूभुवनन् तेङ्कादुवन्नं सुरिद सकल-विद्या-नादि-पूरदिन्ती। वि विपश्चित्पापसन्तापमनुडुगिसुतिईप्युदादं मुनीन्द्र-। प्रवर-श्रीपालयोगोखर नेनिय जगत्-सार्थकृत्-पुण्य-तीर्थ ॥ आवन विषयमो पट-तर्काविल-बहु-भंगि-संगतं श्रीपाल-। त्रैविय-गद्य-पद्य-बाचो-विन्यासं निसर्ग-विजय-विलासम् ॥
अन्तु जगद्गुरुगनिसिद श्रीपाल विद्य-देवर कालं कचि श्रीमदिम्मडि-दण्डनायक बिट्टियण्णनो-बमदिय खण्ड-स्फुटित-जीर्णोद्धारब, देवतापूजेगमिलिम्र रि(ऋ)निममुदायदाहारदानव शक-वर्ष १०५६ नेयनलसंवत्सरदुत्तरायण-संक्रान्ति यन्दु श्रीविष्णुवर्द्धन-पोय्सल देवर श्री हस्तदिं धारेयेरेपिसि परमेश्वरदत्ति माडि विडिसिद ग्राम भरसे-नाड बीजेबोललदर सामान्तर ( भागेकी ६ पंक्तियोमें सीमाओंका वर्णन है) दोरसमुद्रद पट्टण-म्यामि वोण्डादि-सेट्टिय मग नाडवलसेट्टिय कापलु हिरियकोरेयोलगण तावरेयकेरेयोलगाद नेलनं मारुगोण्डी-बहिगे कोट्ट श्री हिरियकेरेय केलगण तावरेयकेरेय बडगण-कोडिय विष्णुभहन तोट...सण गलेय...लु चतुरस्न १५ गलेय भूमिपं मारुगोण्डी-बसदिगेबिट ॥ द्वादशसोमपुरवाद होलेयब्बेगेरेय हन्नेरडुवृत्तियोलगोण्डु वृत्तियं गोग्गण-पण्डितर म...से गुलियण्णन कय्यलु मारुगोण्डी-वसदिगे बिट ।। ( वे ही परिचित श्लोक)
(प्रथम भाग नष्ट हो गया है) [राजा एरंगंगके पुत्रने अपनी रानियोका परित्याग करके, राज्य छोड़कर, और चेङ्गिरिके निकटके देशमें मरते वक्त देह त्याग करते हुए नरसिंहकी पत्नियोंके ऊपर अधिकार जमा लिया था, अङ्गरको नष्ट कर दिया था