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का प्रमुख केन्द्र था मन्दिर के अधिष्ठाता धीरदेव मुनि थे जो कि जिननन्दि के शिष्य थे। उक्त जिनालय के लिए मल्लियपूरिड ग्राम दान में दिया
गया ।
इसी तरह अत्तिलिनाडु में कलुचुम्बरु नामक स्थान में एक सर्वलोकाश्रय बिनालय था । ले० नं० १४४ से ज्ञात होता है कि सन् ६४५ से ६७० के लगभग पूर्वी चालुक्य श्रम्म द्वितीय ( विजयादित्य षष्ठ ) ने उक्त जैन मन्दिर की भोजन शाला की मरम्मत के लिए दान दिया था। यह दान पट्टवर्धिक वंश की श्राविका चामेकाम्बा की ओर से उसके गुरु श्रनन्दि को दिलाया गया था । थे मुनि बलिहारिगण श्रड्डकलि गच्छ के थे ।
गुलाबचन्द्र चौधरी