________________
रहने लगे, प्रसिद्ध कानूनगो हुए, प्रभावशाली व्यक्ति थे । का पुत्र जवाहरसिंह था। [टंक. ]
माथुर संधी अमितगति द्वि. (ल. १००० ई०) के प्रशिष्य, शान्तिबेण के शिष्य, श्रीवेण के गुरु, और अमरकीर्तिगण (११९०ई०) के परदादा गुरु । [ शोधांक- ५० पृ. ३६९]
अमरा मौसा -- मिर्जा राजा जयसिंह के मुख्यमन्त्री मोहनदास भांवसा ( १६५९ ई०) के पुत्र, स्वयं भी जयपुर राज्य में राजमन्त्री थे, एक नवीन जिनमन्दिर बनवाया था, और तेरापन्थ शुद्धाम्नाय का पोषण किया था । [प्रमुख. २९५ ]
अमरेन्द्रकोसि - १. मूलनन्दिसंघ के आमेर पट्ट की सांगानेर थाला के मट्टारक, १६१४ ई० में जिनबिम्ब प्रतिष्ठा की थी ।
अमरसेन
२. उसी संघ के नागौर पट्ट के मडलाचार्य मट्टारक, देवेन्द्रकीर्ति के शिष्य और रत्नकीर्ति के गुरु; समय १६८० ई० ।
अमलकीति - १. छन्दोनुशासन के कर्त्ता जयकीर्ति के शिष्य ने ११३५ ई० में योगीन्दुकृत योगसार को प्रति लिखाई थी। चित्तौड़ के ११५० ई० के शि. ले. में उल्लिखित जयकीर्ति के शिष्य रामकोति के सधर्मा दिगम्बर मुनि - या कोई स्वतंत्र योगसार रचा था। २. काष्ठासंघ माथुरागच्छ पुष्करगण के भट्टारक तथा तस्वसार टीका के कर्ता कमलकीर्ति के गुरु, और संयम कीर्ति के शिष्य, समय ल. १५०० ई० । [प्रवी ८७ ] ३. मदुरा के राजा कुनपाठ्य द्वारा ६४४ ई० में श्रवणबेलगोल में मन्दिर के अधिष्ठाता नियुक्त किये गये दिए. मुनि तदनंतर इस राजा ने शैव बनकर जनों पर अत्याचार किये थे । [टंक. ] शिष्य, जिन्होंने कोंगाल्य नरेश १०५० ई० में, एक भव्य [जैशिसं. ii. २२४; प्रमुख.
अमलचन्द्र महार- कलाचन्द्र सिद्धान्तदेव भट्टार के अदरादित्य प्र० के राज्य मे, ल. जिनालय प्रतिष्ठापित किया था।
अमितगति
इन
१८८; एक. V. १०२]
१. माथुरसंधी दिगम्बराचार्य, प्रसिद्धग्रन्थकार - सुभाषितरत्नसंदोह (९९३ ई०), धर्मपरीक्षा (१०१३ ई०), पंचसंग्रह (१०१६
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
५७