________________
'अनन्तनाप-जिनालय प्रतिष्ठापित किया था। [मेज. ३३८% देसाई ३९५; प्रमुख. २६१; जैशिसं iv. ३९३] संभवतया इन्हीं माषनन्दि के एक अन्य श्रेष्ठि शिष्य मे १३८५ ई. में, केसबार के पार्वमन्दिर का जीर्णोद्वार कराया था।
[शिसं.v. १८१] अमरकीति सूरि-श्वे., कालिदासकृत ऋतुसंहार' की टीका के रचयिता, ल.
१५८६ ई.। [टक.] अमरचन्ह- १. दीपचन्द के पुत्र और प्रसिद्ध दानी वीरचन्द सी. आई.ई., जे.
पी. (स्वर्ग. १८८८६.) के भाई। [टक.] २. मंगरोल निवासी तलकचन्द के पुत्र, प्रसिब दानी, बम्बई वि. वि. में बी. ए. में जैन साहित्य लेकर उत्तीनं होने वाले सर्वोत्तम विद्यार्थियों के लिए १०००० २० से छात्रवृत्ति स्थापित की। उनके पुत्र हेमचन्द (१८७८-१९१४ ई.) भी बड़े दानशील थे। [टक.] ३. दिल्ली निवासी, गोखरुगोत्रीय ओसवाल समाचन्द्र के पुत्र, बादशाही-रत्नकोश-रक्षक, 'राय' उपाधि प्राप्त । दो पुत्र हुएमोहमसिंह भोर डालचन्द। यह राजा डालचन्द नादिरशाही (१७३९ ई.) के बाद दिल्ली छोड़कर मुशिदाबाद चले गये। उनके पुत्र उत्तमचन्द ने, १७८६ ई. में, वाराणमी से लखनऊ के
राय हुकमचन्द टेकचन्द को पत्र लिखा था। [टंक ] अमरबन कवि- राजा अरिसिंह (११६९-१२४० ई.) के समय मे कवि कल्पलता
वत्ति, कविशिक्षावली, पद्मानन्दकाव्य (१२८० ई.), बालभारत, बन्दोरत्नावली तथा स्यादि-शब्द-समुश्चय की रचना की
थी। [टक.] -दे अमरचन्द सूरि न. ३. ममरबन्दमयन- डामन के प्रसिद्ध जैन कोट्याधीश मोतीशाह के मुनीम थे,
दोनों ने १८३६ ई० में शत्रुजय पर्वत पर पास-पास जिनमन्दिर
बनवाये थे। [टंक.] अमरबल गोविका- मांगानेर निवासी धर्मात्मा श्रीमन्त, ग्रन्थकार जोषराज गोदिका
(ल. १६६५ ६०) के पिता। [कास २४२]
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष