________________
१२
उ
मन्दिरों को दान दिवेगवे, १५३९ ई० में बोम्मटेड (वयबेयोन) का महामस्तकाविषेव भी हुआ। यह राजा जैनाचार्य बाबा के शिष्य कीति का चयन पा
F
-
[प्रमुख. २७२; वैशिसं iv ४६७; मे. ३५८ ] का पुष, विद्यायन्य स्वामी का वक्त जैम नरेश उसके राज्यधर्मात्मा परि चिक्कतायि ने कनकाच ग्रास की पूजार्थ १९०९ ई० में किन्नरीपुर का कार किया था इसका पुत्र भी कुल वैद्य था ।
४०१; एक iv १५८ ]
[ उदय, वीट पानी दे
दी ।
[प्रमुख २०; भाइ. ६९]
का नगदेश, स. १४००६०१
[मेजे. ३४२ फु० नो०] -- स के बोनश्रेष्ठि का पौत्र, कस्लप श्रेष्ठि एवं मामाम्बा का धर्मात्मा पुत्र, ditor- पनलोक ( पनसोमे) बलि के ललित कीर्ति भट्टारक के शिष्य देवेन्द्र सूरि का गृहस्थ शिष्य, १४वी जती के अन्तिम पत्र मे अपने नगर की नगरकेरिस मे विविध प्रतिष्ठित कराया था, एवं दानादिक दिये थे ।
[२४१-२
सुविधा के अगव बेठ फतहचंद के पुत्र मार्गदचंद की पुत्री और कमलनयन बाँकी के पुत्र उदयचन्द की पत्नी, धर्मात्मा महिला (१७७३६०) । [] जब नरेना का बजवासन, यो त्रिभुवनगिरि (ताहमवद, बयाना के निकट) का मंत्री नरेश (११३०-५१ ई०) बा बीर जिसके राजविहार में माधुरसंगी विनयचन्द मुनि ने अपनी 'नदी' आदि न विची थीं। वह कुमारपाल प्र० का उत्तराधिकारी था । उसके एक अन्य श्री
पात्र (१९९२-९४) वा ।
चेष्ठि, डा रत्नपान जिसने महोबा में १२६३ ई० में विविध प्रतिष्ठा करा की
जननी का नाम
वाणि