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के कई कवितासंग्रह संकलित करके प्रकाशित कराये, मौर्यसमाज्य के जैनबीर, राजपुताने के मबीर, न जागरण के अग्रदूत बादि ऐतिहासिक पुस्तकों के लेखक, समाजसुधार बादि विषयों पर लगभग एक दर्जन बन्य छोटी-बड़ी पुस्तकें लिखीं। लगभग ७. वर्ष की वायु में सहारनपुर (उ.प्र.) में २९ अक्तूबर
१९७५ को स्वर्गवास हुना। परहवाल - पानीपत (हरयाणा) निवासी पं. मारहदास (जन्म.१८९६,
स्वर्ग. २५ मार्च १९३३ ई.) बर्जुनलाल, पं०- २०वौं शती ई. के प्रारम्म के लगभग हुए, बहुषा कलकत्ता
में रहे, गोम्मटसारादि करणानुयोग के ग्रंथों के गम्भीर अध्येता
एवं निष्णात पंडित। अर्जुनलाल सेठी, पंडित- जन्म जयपुर में ९ सितम्बर १८८०६०, स्वर्गवास
बजमेर में २२ दिसम्बर १९४१ई। दिल्ली निवासी भवानीदास सेठी के पौत्र, जवाहरलाल सेठी के पुत्र, जयपुर के मोहन लाल नाजिम के जामाता, विद्वान पंडित, कवि, लेखक, सुवक्ता, बहुभाषाविज्ञ, अध्यापक, पत्रकार समाजसेवी, और उग्र क्रांतिकारी देशभक्त, १९०५-१२६० के क्रांतिकारी आंदोलनों में सक्रिय रहे, अंग्रेज सरकार ने छह वर्ष बंदीगृह में बन्द रखा -उनकी मुक्ति के लिए सार्वजनिक आंदोलन चला, डा. एनी. बेसेन्ट मे भी वायसराय से सिफारिश की, बंदीगृह में देवदर्शन बिना अन्नग्रहण न करने की प्रतिज्ञा के कारण ७० दिन उपवासे रहे, महात्मा भगवानदीन के प्रयत्न से जेल में जिनप्रतिमा पहुंचाई गई तब अनशन छोड़ा। बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु, सुभाषचन्द्र बोस आदि प्रमुख भारतीय नेता सेठी जी से परामर्श करते थे, १९३४ ई. में वह राजपूताना एवं मध्य भारत कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी चुने गये। अपने समय की नसमाज के सुधारकदल के नेताबों में परिगणित थे। उन्होंने १९.७ ई. में वर्षमान बैन विद्यालय की ओर तदनन्तर एक शिक्षण समिति की स्थापना की, जिनके द्वारा युवापोड़ी में देशभक्ति एवं क्रांतिकारी विचारों का पोषण किया जाता था।
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ऐतिहासिक पवितकोश