________________
पारिणी बनूपमाला देवी, अपनी देवरानी न.पंडिता चन्दाबाई बोको सहयोगिनी, दानशीला, संयमी, पारमा महिला थीं। उन्हीं के सुपुत्र स्व. वा. निर्मलकुमार एवं चकेवर कुमार थे। बैमा सम्पन्न एवं भरापुरा परिवार रहते भी उन्होंने अपना
सुदीचं वैधव्य उदासीन प्रतिमाघारी श्राविका के रूप में बिताया। अमयपना, पति- जनदर्शनाचार्य, वायुर्वेदाचार्य, काव्यतीर्थ, अन्म १८९५
ई०, भानगढ़ (जिला सागर, म. प्र.) के परवार जातीय बासल्लगोत्री नाथूराम मोदी के सुपुत्र । दिग. जैन धार्मिक विधान, उत्साही अध्यापक एवं कुशल बंग, संस्कृत प्रेमी। कलकत्ता, वाराणसी, तथा इंदौर, जबलपुर, मोरेना बादि म.प्र. के कई नगरों में रहकर अध्यापन एवं वचको को। [विद्वत्.
अनिमावन कुमार टांगा- ललितपुर के सेठ मथुरादास टईया के भतीजे
बभिनंदन कुमार टईया ललितपुर-झांसी के प्रसिद्ध वकील रहे, सन् ४२ के भारत-छोड़ो मान्दोलन में सक्रिय योग देकर १ वर्ष
की जेलयात्रा और १०० रु. अर्थदण्ड भोगा। [उ.प्र. ज. ९४] बमीरचन राक्याम- जन्म अमृतसर १९०० ई०, दिल्ली में निवास १९२२
२३ से, सफल व्यापारी एवं अच्छे समाजसेवी श्वे. सद्गृहस्थ,
प्यारेलाल राक्यान के पुत्र। [प्रोग्रे. ११०] अमोलकचनमकील- वाराणसी निवासी इस युवक वकील ने सन् ३०
का द्वितीय स्वतन्त्रता संग्राम प्रारम्भ होते ही समस्त राजनैतिक मुकदमें मुफ्त लडे, फलतः ब्रिटिश शासन की निगाहों मे जेल में हुए अत्याचारों के भण्डाफोड़ को लेकर इन पर मुकदमा चलाया गया और ५०० ६० जुर्माना किया गया। सन् ३७ में श्री गोविंदवल्लभ पंत की अध्यक्षता में हुए जिना राजनीतिक सम्मेमन के प्रधानमन्त्री बने, सन् ३८-३९ में संयुक्तप्रांत के शिक्षा. मंत्रीबा. संपूर्णानद के निजी मषिय रहे, और सन् ४२ में व्यक्तिमत सत्याबह मे भाग लेकर मासका कारावास तथा
१०.२० अर्थदण्ड भोगा। [उ.प्र.जे. ९६] अमृतलाल चंचल'-- माडरवारा (म०प्र०) निवासी, तारमपंथी-समैया जैनी,
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष