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ईश्वर --- होम्सल नरेश नरसिंह प्रथम (ल० ११४१-७३ ई०) का एक सुयोग्य, स्वामिभक्त जैन बीर योद्धा, सेनानी एवं मन्त्री, महाप्रधान सर्वाधिकारी दण्डनाथ एरेवंग का पादपद्मोपजीको ( सहायक या अधीनस्थ ), सायद पुत्र भी, और उस धर्मात्मा दानशीला नारीरस्त मावियक्के का पति जो देशीगण के गण्डfarers की गृहस्थ शिष्या यो बोर जिसने ११६० ई० में तीर्थक्षेत्र मयबोलस पर एक मनोरम जिनालय तथा पद्मावतीकेरे नामक सरोवर का निर्माण कराया था और महाराज नरसिंह की सहमतिपूर्वक बहुतसा भूमिदान दिया था । स्वयं चमूपति ईश्वर ने भी मन्दारमिरि को प्राचीन वसदि (जिनमंदिर) का जीर्णोद्वार कराया था। [ प्रमुख १५०, १५३; मेजं. १४०, १४६-१४७, १६८; जंशिसं. iii. ३५२; एक. xii. ३८]
ईश्वरदास - मालवा के सुलतान गयासुद्दीन का गजपाल (हस्तिशाला का अध्यक्ष) था और धर्मात्मा जैन या भ० श्रुतकीर्ति ने अपनी धर्मपरीक्षा (१४९५ ६०) तथा परमेष्ठिप्रकाशसार (१४९६ ई०) में उसका उल्लेख किया है। [ प्रमुख. २४६ ]
ईश्वरभट्ट - धर्मपुर (बीड, महाराष्ट्र) की सेट्टिय बसदि के प्रमुख, यापनीय
संघ बंदिपूरगण के महावीर पण्डित को दिये प्रशस्ति का लेखक -ल० ११वीं शती ई० । ७० ]
गये दान को [शिसं v. ६९
१. सोनागिर ( दतिया, म० प्र०) के मंदिर न० १० के १८६६ ई. के शि. ले. में भ. चारुचन्द्रभूषण के साथ, कोलारस निवासी मीतलगोत्री अग्रवाल दिग. जैन चोधरी रामकिसन और लालीराम के भाई ईश्वरलाल के रूप में उल्लिखित । [जैशिसं. v पृ. ११४]
२. कटक के मंजु चौधरी और मवानी चौधरी को सन्तति में, तुलसी दानू को दोहित्री सोनाबाई का दत्तकपुत्र, की १९१२ ई० में विद्यमान था। [ प्रमुख. ३४९ ]
ईश्वरसूरि - १. सांडेरानच्छी श्वे. आचार्य, यशोभद्रसूरि (ल० ९११-७२
ई०) के गुरु । [ जंमोह. iii. ५३०, ६०५ ]
ईश्वरलाल -
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ऐतिहासिक व्यक्तिकोश