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[१८] (२६) यह निश्चय हुआ कि अगले अधिवेशनके लिए सूचना प्रथम विशक्षि महावीर-जयन्ती के वास-पास तक विद्वानों को भेजी जाए।
(२७) यह निश्चय हुआ कि अधिवेशन की दूसरी सूचना (विष्ठि) चातुर्मास के प्रारम्भिक काल में ही स्थान व तिथि निर्णय के साथ भेजी जाए।
(२८) यह निश्चय हुआ कि अधिवेशन के अवसर पर पढ़े जाने वाले शोष पत्र साधारणतया १० टाईड फलस्केप पेज से अधिक न हों तथा समरी भी ३.. शब्दों से अधिक की न हो।
(२६) यह निश्चय हुबा कि अग्रिम वर्ष के लिये संयोजक का भार मी मोहनलालजी बांठिया को दिया जाए। __कार्यवाही सम्पन्नता पर भी इन्द्रचन्द्र जी शास्त्री ने विद्वानों की ओर से श्री बांठियाजी के संयोजन भार को सुचार एवं व्यवस्थित ढंग से चलाने पर आभार प्रदर्शित किया। ___ सदन्तर श्री बांठियाजी ने बागत विद्वानों के प्रति हार्दिक आभार प्रदर्शन करते हुए शुभ कामना व्यक्त की। ___ अन्त में आचार्यमवर ने भी अधिवेशन की सफलता पर हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की।
कार्यक्रम बहुत ही सुचारु एवं शान्त वातावरणके साथ मानन्द सम्पन्न हुआ।