________________
[ १२६ ] इसी सूत्र की चूर्षि में अनेक दर्शन-दार्शनिकों का भी जिक्र मिलता है(१) आजीवग (१२) पंडरंग (२१) सेयभिक्खु (२) ईसरमत्त (१२) वोडित (२२) शाक्यमत (३) उलूग (१३) निच्छुग (२३) हडसरक्ख। (४) कपिलमत (१४) भिक्खू (५) कविल (१५) रत्तपड (६) कावाल (१६) वेद (७) कावालिय (१७) सक्क (८) चरण (१८) सरक्ख (' नचनिय (१६) सुतिवादी (१०)परिवायग (२०) सेयवड़
इन उल्लिखित उल्लेखों के आधार पर यह भली भांति जाना जा सकता है कि वह युग धार्मिक मतवादों से किस प्रकार संकुल और जटिल था।