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जैन धर्म और विज्ञान
Thirthankaras were professors of the Spiritual Science, which enables men to become God..
--What is Jainism? P, 48.
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.' आज कल दुनिया में विज्ञान (Science) का नाम बहुत सुना जाता है इसने ही धर्म के नाम पर प्रचलित बहुत से ढोंगों की कलई खोली है, इसी कारण अनेक धर्म यह घोषणा करते हैं कि धर्म और विज्ञान में जबरदस्त विरोध है।
जैनधम तो सर्वज्ञ, वीतराग, श्री ५० सुमेरचन्द्र दिवाकर, न्यायतीर्थ हितापदेशी जिनेन्द्र भगवान् का बताया हुआ वस्तुम्वभाव रूप है। इस लिये यह वैज्ञानिकों की खोजों का स्वागत करता है ।
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भारत के बहुत से दार्शनिक शब्द (Sound' को आकाश का गुण बताते थे और उसे अमूर्तिक बता कर अनेक युक्तियों का जाल फैलाया करते थे, किन्तु जेनधर्माचार्यों ने शाम को जड़ तथा मृर्तिमान बताया था, श्राज विज्ञान ने ग्रामोफोन (Gramophone) रेडियो (Radi ) श्रादि ध्वनि सम्बन्धी यन्त्रों के आधार पर
१. 'भ० महावीर का धर्म उपदेश,' खण्ड २।
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