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जैन इतिहास स्वर्णाक्षरों में लिखने योग्य है
रेवरेन्ज जे० स्टीवेन्सन महोदय
भारतवर्ष का अध: पतन जैन धर्म के अहिंसा सिद्धान्त के कारण नहीं हुआ था, बल्कि जब तक भारतवर्ष में जैन धर्म की प्रधानता रही थी, तब तक उसका इतिहास स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य है ।
- जैन धर्म पर लो० तिलक और प्रसिद्ध विद्वानों का अभिमत, पृ० २७ ।
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जैनधर्म से पृथ्वी स्वर्ग हो सकती है
डा० चारो लोटा क्रौज संस्कृत प्रोफैसर बर्लिन यूनिवर्सिटी जैन धर्म के सिद्धान्तों पर मुझे दृढ़ विश्वास है कि यदि सब जगह उनका पालन किया जाये तो वह इस पृथ्वी को स्वर्ग बना ढेंगे। जहां तहां शान्ति और आनन्द ही आनन्द होगा ।
— जैन वीरों का इतिहास और हमारा पतन अन्तिम पृष्ठ |
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यूरपियन फ्लॉसफर जैनधर्म की सचाई पर नतमस्तक हैं
Prof:- Dr. Von Helmuth Von Glasenapp, Univercity Berlin. मैंने जैनधर्म को क्यों पसन्द किया ? जैन धर्म हमें यह सिखाता है कि अपनी आत्मा को संसार के झंझटों से निकाल कर हमेशा की नजात किस प्रकार हासिल की जावे। जैन असूलों ने मेरे हृदय को जीत लिया और मैंने जैन फलॉस्फी का स्वाध्याय शुरू कर दिया है । आजकल यूरपियन फ्लासर जैन फलास्फी के क़ायल हो रहे हैं, और जैनधर्म की सचाई के आगे मस्तक झुका रहे हैं। - रोजाना तेज देहली २०-१-१६२८ ।
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