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________________ एक साम्प्रदायिक चित्रण [ लेग्वक-श्रीयुत पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री ] २-३ व हाप, भारतीय विद्या-भवन से प्रकाशित होनेवाली भारतीय निदा' नामक पत्रिका का एक अंक स्व० बाचू श्री बहादुर सिंह जी सिंधी स्मृति ग्रन्थ के नाम से प्रकाशित हुआ था। उसके सम्पादक मुनि श्री जिनविजय जी हैं। उममें मुनि जी ने जयसलमेर के शास्त्र भण्डारों के कतिपय ग्रन्थों की काष्ट की पटियों पर चित्रित कुन चित्रों के ब्लाक भी मुद्रित कराये हैं। उनमें तीन चित्र (इ.ई) ऐसे हैं जो दिगम्बर श्वेताम्बर विषयक एक शास्त्रार्थ से सम्बन्ध रखते हैं । कहा जाता है कि गुर्ज रेश्वर सिद्धराज की सभा में श्वेताम्बराचार्य देवमूरि और दिगबराचार्य कुमुदचन्द्र का शास्त्रार्थ हुआ था, जिसमें कुमुदचन्द को ८४ वादियों का विजेता बतलाया जाता है। किन्तु दिगम्बर परम्परा में इस घटना का तो कोई उल्लेख ही नहीं, इस तरह के किसी कुमद्रचन्द्र नाम के दिगम्बराचार्य का भी पता नहीं चलता। प्रत्युत श्रवण वेलगोला के शिलालेख नं० ४० में आचार्य अतकानि का वर्गान करता उन्नों विपन्नी देवेन्द्र का विजेता बतलाया है। प्रोफेसर हीगलाल जी का कहना मान विपक्ष सैन्द्रान्तिक देवेन्द्र का यहां उल्लेख है वे सम्मकाः प्रकाशनय तत्यानाक कार कत्ता वादिप्रवर श्वेताम्बराचार्य देवेन्द्र का देवनार हैं, जिनका विपन में कहा गया है कि उन्होंने वि० सं० ११८१ में दिगम्बराचार्य काद चन्द्र को बाद में परास्त किया था। अस्, इन चित्रों का परिचय मुनि जिनविजय जी ने उकत अन्य में गुजरानी भाषा में कराया है। मुनि जी लिखते हैं :--- 'इन पट्टिकाओं की चित्रावली का विषय पनिहानिक है. और श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय में अति प्रसिद्ध है। वादी दबमूरि नाम के एक प्रश्न यात गानाय सिद्धराज के समकालीन थे। वि० सं० ११८१ में, पारन में सिद्धराज की सी में, उन्हीं की अध्यक्षता में, आचार्य देवसूरि का दिगम्बर सम्पदाय के एक अनि प्रसिद्ध विद्वान् श्राचार्य कमुदचन्द्र के साथ, श्वेताम्बर दिगम्बर सम्प्रदाय के बीच के मतों की अमुक मान्यता के विषय में एक निर्णायक वाद विवाद हुआ था। इसमें वादी देवसेन सूरि की विजय हुई थी। 'प्रभावक चरित्र' 'प्रबन्ध चिन्तामणि', 'चतुरशीति प्रबन्ध संग्रह' आदि श्वे० जैन ऐतिहासिक प्रबन्ध ग्रन्थों में देवसूरि का विस्तृत इतिहास पाया जाता है और इस वाद-विवाद का भी गर्ने विस्तार से लिम्वा है। साथ ही, इस प्रसंग को लेकर यशश्चन्द्र नाम के एक समकालीन ) दग्यो, जन-शिला संग्रह पृ० २५ की पाद टिप्पणी !
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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