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________________ किरण २ ] साहित्य-समीक्षा लिये यह विधान उपयोगी है। अगला संस्करण संशोधन सहित प्रकाशित होने की आवश्यकता है। १३६ मोक्षशास्त्र - अनुवादक : प्रो० पन्नालाल धर्मालङ्कार का पतीर्थ; पृष्ठ संख्या: २३ + ३५ + ३५ + ३=६; मूल्य: दो रुपये । प्रारम्भ में ख्याति प्राप्त दार्शनिक विद्वान प्रो० बलदेव उपाध्याय एम० ए० की प्रस्तावना है, जिसमें आपने आचार मार्ग और ज्ञानमार्ग पर जोर देते हुए आचार मार्ग के लिये ज्ञानमार्ग की अत्यन्त आवश्यकता बतलायी है तथा दिगम्बर और श्वेताम्बर परम्परा में प्राप्त मोक्षशास्त्र की टीकाओं का तुलनात्मक अध्ययन करने पर जोर दिया है। आपका अनुमान है कि दिगम्बर परम्परा की रचनाएँ श्वेताम्बर परम्परा की रचनाओं से प्राचीन है। मोक्षशास्त्र के अब तक अनेक संस्करण निकल चुके हैं, प्रत्येक संस्करण की अपनी-अपनी कुछ न कुछ विशेषता रहती है । इस संस्करण को प्रो० मा ने अंग्रेजी पढ़नेवाले छात्रों के लिये उपयोगी बनाना चाहा है । परन्तु हमारा यह ख्याल है कि ऐसे छात्रों की मनोवृत्ति का अध्ययन कर यदि प्रोफेसर सा० सरल और सुबोध भाषा में उपर्युक्त विषय का ज्ञान कराने के लिये कोई नवीन पुस्तक लिखते तो ज्यादा लाभ होता । हमारे सम्मान्य विद्वानों को प्रकाशित साहित्य के अनुवाद की ओर न झुक कर अब नवीन साहित्य के निर्माण या पुरातन अप्रकाशित साहित्य के प्रकाशन की ओर लगना चाहिये । प्रस्तुत संस्करण के गेटप और मुद्रण की हम प्रशंसा करते हैं । प्रूफ सम्बन्धी अशुद्धियाँ इस ग्रन्थ माला के सभी प्रकाशनों में है । स्वाध्याय प्रेमियों को मंगा कर लाभ उठाना चाहिये । माधवराम न्यायतोर्थ
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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