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________________ साहित्य-समीक्षा श्रावकधर्म संग्रह लेखक: स्व० मा० दरयावसिंह जी सोभिया; संपादक : पं० परमानन्द जैन शास्त्र'; प्रकाशक : सस्ती प्रन्थमाला नं० ७ ३३ दरियागंज, दिल्ली; पृष्ठ संख्या : ३००; मूल्य : सवा रुपया । देहली में वीर सेवा मन्दिर के तत्वावधान में सस्ती ग्रन्थमाला स्थापित की गयी है। इस ग्रन्थमाला से अब तक सात-आठ ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। वास्तव में जैन समाज के लिये यह सौभाग्य की बात है कि इस ग्रन्थमाला से छपे ग्रन्थ अत्यल्प मूल्य में दिये जा रहे हैं। साहित्य प्रचार और जनता में स्वाध्याय भावना जाग्रत करने के लिये ग्रन्थों का मूल्य अन रहना आवश्यक है। इस प्रन्थमाला ने समाज की उक्त कमी को पूर्ति की है। प्रस्तुत ३०० पृष्ठ के ग्रन्थ का मूल्य आज महंगाई के युग में सवा रुपया बहुत ही कम है । किरण १] ६६ यह ग्रन्थ श्रावकाचार का है। इसमें श्रावकों के मूलगुण, उत्तरगुण, दिनचर्या, प्रतिमाएँ, सूतक पातक, मुनि के आहार की विधि, संक्षिप्तरूप से मुनि का श्राचार अठारह हजार शील के भेदादि बातों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है । सांधिया जी ने प्रामाणिक जैनागम के प्रन्थों के आधार पर इसका संग्रह किया है । हिन्दी भाषा में प्रत्थ होने से साधारण हिन्दी भाषा जानने वाला भी इससे श्रावक धर्म के सम्बन्ध में बहुत-सी बातें जान सकता है। प्रत्येक स्वाध्याय प्रेमी को इससे लाभ उठाना चाहिये । रत्नकरण्ड श्रावकाचार सटीक — टीकाकारः पं० सदासुखदास काशलीवाल; प्रकाशक : मन्त्री वीर सेवा मन्दिर, सस्ती - प्रन्थ-माला दरियागंज, दिल्ली; पृष्ठ संख्या : २४ +९६०, मूल्य, तीन रुपया । रत्नकरण्ड श्रावकाचार स्वामी समन्तभद्र का श्रार्षग्रन्थ माना जाता हैं । श्री पं० सदासुखदास जी ने इस पर अपनी भाषा वचनिका लिखी है । यों तो इस टीका का प्रकाशन अब तक दो-तीन बार हो चुका है; किन्तु पुस्तकाकार रूप में यह प्रथम प्रकाशन है। प्रारम्भ में श्री० पं० परमानन्द जी की प्रस्तावना है, आपने इसमें ग्रन्थ और ग्रन्थकार के सम्बन्ध में अनेक ज्ञातव्य बातों पर प्रकाश डाला है। टीकाकार के जीवन और कार्यों के बारे में भी प्रस्तावना में प्रकाश डाला गया है । सम्पादन अच्छा हुआ है; छपाईसफाई अच्छी है। यदि वीर-सेवा-मन्दिर इस ग्रन्थ की भाषा को, जो कि पुरानी जयपुरी है, आधुनिक हिन्दी में परिवर्तित कर प्रकाशित करता तो सर्वसाधारण पाठक भी इससे अधिक
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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