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________________ [ भाग १७ २ पचतीर्थ स्तव - यह रचना बहुत ही कवित्व एवं विद्वत्तापूर्ण है । स्थानीय बृहत् ज्ञानभंडार में इसकी पूर्ण प्रति प्राप्त है जिसमें प्रथम देव स्तव-रूपकालंकारमय २३ श्लोकों में, फिर वर्द्धमान स्तव (पंचम) चित्रालंकार मय ६७ पत्रों में है। तृतीय पार्श्वनाथ स्तर के ३ पद्य, प्रति के ६ वें पत्र में लिखे जाने के पश्चात् आगे के पत्र न मिलने से कृति अपूर्ण रह गयी है। पाठकों से अनुरोध कि कहीं इस महत्वपूर्ण काव्य की पूर्ण प्रति मिले तो हमें अवश्य सूचित करें । वादि: ε २८ भास्कर ||६०|| श्रीमद्विघ्नच्छिदे नमः || र्हम् || लक्ष्मी लक्ष्मोपलक्ष्यान् विदलितदुरितांव पंचतीर्थ्याप्तपादान् नवा तत्वाभिसत्त्वान सुभगयुगवरान् जैनचंद्रान् वितन्द्रान् कुत्रे तेषामपूर्व गुणकरण भरणनं लेशतोऽहं यथाचित् येषामेवातिशेषात् सुगम कतिपयालंकृति लोपचित्रैः ||१|| अन्तः एवं नाभि सुतः स्तुतः कृतिनतः कुर्याच्छ्रय रूपकालंकारै सुखकार एप सततं शत्रु जयालङ्कृतिः चारित्रोदय वाचकानुगतिना श्री पंचतीर्थस्तवः । प्रस्तावे वर वीरकुम्भगणिना शिष्येण सुरेन्दुना ||२३|| इति पंचतीर्थीस्तव प्रस्तावे श्रीमारुदेव स्तवः सम्पूर्णः, अलंकाराधिकारे रूपकालंकारेण केश वेशवर्णन इति । श्रीरस्तुः ॥ [ पत्र ३ ] द्वितीय चित्राधिकार प्रस्ताव श्रादि --- यत्पादद्वैतभक्तः समलभत फलस्वीय जात्याधिपत्यं नित्यं सिंहोभियाख्या पतित इति यतोऽष्टापदस्यर्द्धिमूर्त्तिः न्यूनं न्यूनमेपोतिदधनुपमं स्थामजेतामपि ध्या त्वा तं स्तोमि भक्तोपकृति कृत रसं वर्द्धमानं सु चित्रैः ||१|| व्यञ्जन, बीच में काव्य एक व्यंजन, द्विव्यंजन, त्रिव्यंजन, चतुर्व्यजन, कंस्यव्यंजन, तालव्यंजन, मूर्द्धन्यव्यंजनं, दन्त्यव्यंजन, श्रोष्ठव्यंजनं, सर्शव्यंजन, अंतस्थव्यंजन, कमव्यंजन, त्यक्तवर्ग्यगोमूत्रकाद्वयं गोमूत्रिकाविशेषचित्र, अष्टदल कमलय मलम् खङ्गाधिबन्ध चित्रम्, अष्टारकचक्रवंधचित्रम्, नागपाशबंध मंथानकचतुर्दलकमल चित्रम, वलयाकार चित्रमस्यैकस्य काव्यस्य द्वात्रिंशत्काव्यानि जायते, येन पल्ल्यंव बंधचित्रम्, चाटितवाग्धनुर्य धचित्रम्, मुरजबन्धचित्रम् श्रर्द्धभ्रमचित्रम्, सर्वतोभद्रचित्रम्, तुरगपदचित्रं, द्वितीयमुरजधभेद कोष्टकसमपंक्ति वर्णः, मुरजबन्धविशेषचित्रम्, पादगदतप्रत्यागतम्, श्रर्द्धगतप्रत्यागतं, सर्वगतप्रत्यागत,
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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